हाजी अली पहुंची तृप्ति, महिलाओं पर बैन के खिलाफ 15 दिन का अल्टीमेटम

मजारनई दिल्ली। भूमाता ब्रिगेड की अध्यक्ष तृप्ति देसाई गुरुवार सुबह मुम्बई की हाजी अली दरगाह पहुंची। कड़ी सुरक्षा के बीच उन्होंने दरगाह के बाहर माथा टेका और मन्नत भी मानी। लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद वह मजार तक नहीं पहुंच सकीं।

मजार तक जाने का सबको है हक

दरगाह के बाहर तृप्ति देसाई ने कहा, ‘आज उन्होंने हाजी अली दरगाह में प्रवेश किया। जिस जगह तक महिलाओं को जाने की इजाजत दी गई है, मैं वहां तक पहुंची और इबादत की।’

तृप्ति ने कहा, ‘मैंने मन्नत मांगी कि दरगाह के अंदर तक महिलाओं के जाने की इजाजत मिले।’ साथ ही उन्होंने कहा कि अगर दरगाह ट्रस्ट 15 दिनों में महिलाओं को मजार तक जाने की इजाजत नहीं देता है, तो वे विरोध प्रदर्शन करेंगी।

तृप्ति देसाई शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं को प्रवेश दिलाने के बाद अब इबादत का समान हक दिलाने के लिए हाजी अली दरगाह में प्रवेश की मांग कर रही हैं। इससे पहले तृप्ति ने बॉलीवुड सितारों सलमान खान, आमिर खान और शाहरुख खान से भी अपील की थी कि वे इस बारे में अपना रुख साफ करें।

2011 में लगी थी महिलाओं पर पाबंदी

पीर हाजी अली शाह बुखारी की याद में मुंबई के वरली समुद्र तट पर एक छोटे से टापू पर हाजी अली दरगाह स्थित है। देश दुनिया से मुस्लिम और हिन्दू श्रद्धालु यहां जियारत करने आते हैं।

1431 में सूफी संत की याद में इस दरगाह की स्थापना की गई थी। इसका 4500 वर्ग मीटर में विस्तार है और मीनार 85 फीट ऊंची है।

2011 में ट्रस्ट ने हाजी अली की दरगाह में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी लगाई थी। 2012 में भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन ने इसके खिलाफ अदालत में अर्जी भी लगाई।

इन जगहों पर रोक नहीं है

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (अजमेर), कलियर शरीफ (रुड़की), दरगाह आला हजरत (बरेली), खानकाह-ए-नियाजिया

ये सब बड़ी दरगाह है जिनमे महिलाओं के जाने पर कोई ही पाबंदी नही है।

यहां रोक है

हजरत निजामुद्दीन (दिल्ली), सरहिंद शरीफ (पंजाब) और साथ ही महिलाओं के कब्रिस्तान में जाने पर भी रोक है। फिलहाल सभी दरगाहों में महिलाओं को चादरपोशी करने से रोका जाता है।

दिल्ली जामा मस्जिद में मगरिब की नमाज के बाद महिलाओं का प्रवेश पूरी तरह से वर्जित है।

इन मंदिरों में भी प्रवेश नहीं मिलता

अय्यपा स्वामी मंदिर (सबरीमाला, केरल), बारपेटा सत्र ( असम), मवाली माता मंदिर (धमतरी, छत्तीसगढ़), कार्तिकेय मंदिर (पिहोवा, कुरुक्षेत्र और जगन्नाथ मंदिर (पुरी, ओडिशा) परिसर में बिमला खांडा शक्तिपीठ में महिलाओं को प्रवेश नहीं मिलता।

 

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