बोरिंग के गड्ढे की मिट्टी धंसी, इतने मजदूर की मौत

उन्नाव। हसनंगज तहसील के आदमपुर बरेठी गांव में 20 फीट गहरे नलकूप बोरिंग के गड्ढे की सफाई करते समय मिट्टी धंसने से मजदूर दब गया। सूचना पर एसडीएम ने तहसीलदार व पुलिस को भेजा। जेसीबी व अन्य उपकरणों से दोपहर 12 बजे रेस्क्यू अभियान शुरू किया। दो जेसीबी की मदद से पास ही दूसरा गड्ढा खोदकर रात 8 बजे शव को बाहर निकाला गया।

मजदूर की मौत

सोहरामऊ थानाक्षेत्र के आदमपुर बरेठी गांव निवासी बरातीलाल ने खेत में बोरिंग के लिए 20 फीट गहरा गड्ढा खुदवाया था। पास के परागीखेड़ा गांव निवासी मजदूर मनीराम (25) पुत्र सजीवनपाल रविवार सुबह गड्ढे की मिट्टी साफ कर रहा था। गड्ढा गहरा होने से मिट्टी धंस गई और मनीराम उसी में दब गया। रविवार दोपहर करीब 12 बजे हुए हादसे की सूचना साथी मजदूरों ने बरातीलाल और ग्राम प्रधान कौशलेंद्र को दी।

दोपहर करीब एक बजे घटना की जानकारी होने पर हसनगंज एसडीएम सूरज यादव ने तहसीलदार विजय कुमार को भेजा। कुछ ही देर में हसनगंज व सोहरामऊ थाना पुलिस भी पहुंच गई। आनन-फानन मनीराम को निकालने की कोशिश शुरू हुई। गड्ढे की ऊपर से मिट्टी हटाने के दौरान बलुई मिट्टी और नीचे धंसने लगी तो गड्ढे के पास ही उतना ही गहरा गड्ढा खोदने की योजना बनाई गई। दो जेसीबी लाई गईं और 25 मीटर लंबा व 20 फीट गहराई तक खुदाई शुरू की गई। रविवार रात 8 बजे तक चले रेस्क्यू अभियान के बाद मनीराम के शव को बाहर निकाला जा सका।

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गड्ढे में नहीं थे मिट्टी रोकने के इंतजाम
हसनगंज तहसील के आदमपुर बरेठी में मजदूर की मौत की घटना में खेत मालिक की लापरवाही सामने आई है। गहरे गड्ढे में मिट्टी को रोकने का कोई इंतजाम नहीं था। केवल उतरने और चढ़ने के लिए बांस बल्लियां लगी थीं।
आदमपुर बरेठी व उसके आसपास के गांव में जलस्तर नीचे होने से किसान खेतों में बोरिंग के लिए 30 से 40 फीट की गहराई तक आठ फीट चौड़ा गड्ढा खोदकर उसमें पंप लगाते हैं। पंपसेट को ऊपर रखकर पट्टे की मदद से पानी निकाला जाता है।

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बरातीलाल ने भी बोरिंग के लिए 20 फीट गहरा गड्ढा खुदवाया था। गड्ढे की गहराई और बढ़ाने से पहले उसकी सफाई के लिए रविवार सुबह करीब 11 बजे मनीराम को उसमें उतरा था। जानकारों के मुताबिक क्षेत्र की मिट्टी बलुई होने से मजबूत नहीं होती है। गड्ढा गहरा होने से कगार फटने का डर बना रहता है। किसान गड्ढे में ईंटों की दीवार से मजबूत करते हैं लेकिन यहां ऐसा नहीं किया गया था। मनीराम दो भाइयों में छोटा था। उसके हिस्से में सिर्फ डेढ़ बीघा जमीन थी। पत्नी रामरानी, मां रामरती व दो बेटियों का पेट भरने के लिए वह मजदूरी करता था।

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