नोट बंदी : हिमाचल के मंदिरों में चढ़ावे में 40 प्रतिशत की कमी

शिमला। उच्च मूल्य के नोटों को अमान्य घोषित किए जाने के कारण नकदी की कमी से हिमाचल प्रदेश के सभी प्रमुख मंदिरों के चढ़ावे में भारी कमी आई है। मंदिरों के पदाधिकारियों ने कहा कि गत 8 नवम्बर को हुई नोटबंदी के बाद से नकद चढ़ावे में 40 प्रतिशत तक की कमी हुई है और श्रद्धालुओं की संख्या भी घट कर आधी हो गई है।

मंदिरों के चढ़ावे

उन्होंने कहा कि ऑनलाइन चढ़ावे में भी कमी हुई है।

मंदिर के पदाधिकारी सुभाष चंद ने कहा, “चिंतपूर्णी मंदिर के दैनिक चढ़ावे में 40 प्रतिशत तक की कमी हुई है और सप्ताहांत में श्रद्धालुओं की संख्या घट कर आधी हो गई है।”

उन्होंने कहा कि प्रदेश के सबसे धनी इस मंदिर ने 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट लेने बंद कर दिए हैं।

उत्तर भारत के सबसे पूजनीय मंदिरों में से एक उना जिले के चिंतपूर्णी मंदिर में पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, दिल्ली और उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।

प्रदेश के अन्य धनी मंदिर ट्रस्टों में बिलासपुर जिले में नैना देवी, कांगड़ा जिले में ब्रजेश्वरी देवी, ज्वालामुखी देवी और चामुंडा देवी, शिमला जिले में भीमकाली देवी, सिरमौर जिले में महामाया बालासुंदरी मंदिर और हमीरपुर जिले में बाबा बालक नाथ मंदिर शामिल हैं।

सभी मंदिरों में चढ़ावे के लिए इलेक्ट्रानिक हस्तांतरण की सुविधा है।

ब्रजेश्वरी देवी के पदाधिकारी पवन बड़याल ने कहा, “बड़े मूल्यों के नोटों के अमान्य किए जाने से पहले दस दिनों में करीब 14 लाख रुपये नकद चढ़ावे में आए थे, जो गत 16 दिनों में घटकर 10 लाख रुपये हो गए हैं।”

उन्होंने कहा कि मंदिर में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में 40 प्रतिशत की कमी हुई है।

उन्होंने कहा कि मंदिर को प्रति माह औसतन 40,000 से 50,000 रुपये तक ऑनलाइन दान मिलते थे। इस महीने में कोई दान ऑनलाइन नहीं किया गया है।

पहाड़ी की चोटी पर स्थित प्रदेश के दूसरे सबसे धनी मंदिर नैना देवी के अधिकारी मंदिर की तिजोरी की निगरानी सीसीटीवी कैमरे से कर रहे हैं। उन्होंने श्रद्धालुओं को 500 और 1000 रुपये के प्रतिबंधित नोट नहीं चढ़ाने की सलाह दी है।

पहले नैना देवी मंदिर में एक श्रद्धालु प्रतिबंधित नोटों में एक लाख रुपये का चढ़ावा चढ़ाते हुए कैमरे में कैद हुआ था।

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