भारत में नोटबंदी ने किया नेपालियों की नाक में दम
काठमांडू| भारत में नोटबंदी के चलते 500 और 1,000 रुपये के नोटों को अमान्य घोषित कर दिया गया है| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले के बाद देश में रह रहे नेपाली नागरिकों को भारी परेशानी हो रही है।
‘काठमांडू पोस्ट’ के अनुसार, गत आठ नवंबर को नोटबंदी से लाखों भारतीयों की तरह भारत में काम वाले नेपालियों को भी भारी झटका लगा है।
नई दिल्ली में सड़क किनारे स्थित एक रेस्तरां में काम करने वाले नेपाल में बरदिया जिले के रहने वाले श्याम चौधरी ने कहा कि उन्हें नोटबंदी का प्रभाव थोड़ा बाद में समझ आया।
चौधरी ने कहा, “मैं अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहा हूं। इसके अलावा मैं चिंतित हूं कि मैं कैसे घर पैसा भेजूंगा?”
चौधरी ने कहा कि उनके जैसे कई नेपाली अपने ऐसे मित्रों से मदद मांग रहे हैं, जिनके बैंक में खाते हैं।
उन्होंने कहा, “हम यहां कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं।”
सुरक्षा गार्ड, दैनिक मजदूर के रूप में काम करने वाले नेपाली और नकद में वेतन लेने वालों ने कहा कि वे मौजूदा हालात से जूझ रहेर हैं।
बैंक खाते वाले छात्रों ने कहा कि वे नकद नहीं निकाल पा रहे हैं, क्योंकि एटीएम में पैसे नहीं हैं।
चार्टर्ड एकाउन्टेंसी के छात्र बादल बसनेत ने कहा, “हम अंतिम वर्ष की परीक्षा दे रहे हैं। हम ऑटो भाड़े और अन्य खर्चो के लिए नकदी के इंतजाम करने को संघर्ष कर रहे हैं।”
अधिकांश प्रवासी हर महीने अपने घर पैसे भेजते हैं। अब उन्हें समझ में नहीं आता कि वे कैसे घर पैसे भेजेंगे, क्योंकि नए नोट उनके हाथों में नहीं हैं और पुराने 500 तथा 1,000 रुपये के नोट अमान्य हो गए हैं।
नई दिल्ली स्थित एक नेपाली प्रेषण कंपनी, प्रभु बैंक के प्रतिनिधि सुनील मिश्रा ने कहा, “लेनदेन 70 प्रतिशत या उससे अधिक तक कम हो गए हैं। हमने नेपालियों को सलाह दी है कि जिनके पास बैंक खाते नहीं हैं वे अपने मित्रों के बैंक खातों का इस्तेमाल करें।”
नई दिल्ली में करीब 20 लाख नेपाली नागरिक रहते हैं।
उच्च शिक्षा के लिए करीब 50,000 नेपाली छात्र हर साल भारत पहुंचते हैं। इलाज के लिए बड़ी संख्या में नेपाली भारत पहुंचते हैं, जिनमें से करीब 100 नेपाली प्रतिदिन स्वास्थ्य जांच के लिए पहुंचते हैं।