जानें… तिरंगे से जुड़ी ये खास बातें और क्या कहती हैं अशोक चक्र की 24 तीलियां

 

भारत का राष्ट्रीय ध्वजनई दिल्ली। आज पूरा देश गणतंत्र दिवस के जश्न में डूबा हुआ है। आज ही के दिन हमारे देश का संविधान लागू हुआ था। स्वर्णिम इतिहास के जश्न में आज देश का हर नागरिक सराबोर है। जिसका अंदाजा आप हर जगह लहराते तिरंगे से लगा सकते हैं। वो तीरंगा जिसकी शान बचाने में न जाने कितने देश भक्तों ने अपनी जान गंवा दी। आइए आज के दिन उन सभी शहीदों को नमन करते हुए जानते हैं भारत की शान तिरंगे के बारे में कुछ खास, जो है भारत का राष्ट्रीय ध्वज।

एक ध्वज किसी देश का प्रतीक बनता है इसलिये किसी भी आजाद देश को एक राष्ट्र के रुप में एक अलग पहचान के लिये एक ध्वज की जरुरत पड़ती है।

22 जुलाई 1947 में भारत के संविधान सभा ने एक मीटिंग में अधिकारिक रुप से राष्ट्रीय ध्वज के वर्तमान स्वरुप को स्वीकार किया था। तीन रंगों में रंगे होने के कारण इसे तिरंगा भी कहा जाता है। ये स्वराज ध्वज पर आधारित है (अर्थात भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस का ध्वज, पिंगाली वेंकैया द्वारा रुपांकित)।

भारतवासियों के लिए तिरंगे की शान से बढ़कर कुछ भी नहीं है। इसे एक खास किस्म के कपड़े से बनाया गया है, जिसे ख़ादी कहते है (हाथ से काता हुआ जिसे महात्मा गाँधी द्वारा प्रसिद्ध किया गया)। इसके निर्माण और डिज़ाइन के लिये भारतीय स्टैन्डर्ड ब्यूरो जिम्मेदार होता है जबकि, ख़ादी विकास एवं ग्रामीण उद्योग कमीशन को इसके निर्माण का अधिकार है। इसकी लम्बाई और चौड़ाई का अनुपात क्रमशः २:३ होता है। किसी भी निजी नागरिक (किसी भी राष्ट्रीय दिवस को छोड़कर) के द्वारा राष्ट्रीय ध्वज का इस्तेमाल पूरी तरह प्रतिबंधित है।

तीन रंगों का महत्व

राष्ट्रीय ध्वज का सबसे ऊपरी भाग केसरिया रंग है,  जो बलिदान का प्रतीक है राष्ट्र के प्रति हिम्मत और नि:स्वार्थ भावना को दिखाता है। बीच का भाग सफेद रंग से डिज़ाइन किया गया है जो राष्ट्र की शांति, शुद्धता और ईमानदारी को प्रदर्शित करता है। भारतीय दर्शन शास्त्र के मुताबिक, सफेद रंग स्वच्छता और ज्ञान को भी दर्शाता है। तिरंगे के सबसे निचले भाग में हरा रंग है जो विश्वास, उर्वरता ; खुशहाली ,समृद्धि और प्रगति को इंगित करता है। भारतीय दर्शनशास्त्र के अनुसार, हरा रंग उत्सवी और दृढ़ता का रंग है जो जीवन और खुशी को दिखाता है।

अशोक चक्र और 24 तिलीयाँ

हिन्दू धर्म के अनुसार, राष्ट्रीय ध्वज की सभी 24 तिलीयाँ जीवन को दर्शाती है अर्थात् धर्म जो इस प्रकार है: प्रेम, बहादुरी, धैर्य, शांति, उदारता, अच्छाई, भरोसा, सौम्यता, नि:स्वार्थ भाव, आत्म-नियंत्रण, आत्म बलिदान, सच्चाई, नेकी, न्याय, दया, आकर्षणशीलता, नम्रता, हमदर्दी, संवेदना, धार्मिक ज्ञान, नैतिक मूल्य, धार्मिक समझ, भगवान का डर और भरोसा (भरोसा या उम्मीद)।

हिन्दू धर्म के अनुसार, पुराणों में 24 संख्या बहुत महत्व रखता है। अशोक चक्र को धर्म चक्र माना जाता है जो कि समय चक्र भी कहलाता है। अशोक चक्र के बीच में 24 तिलीयाँ है जो पूरे दिन के 24 बहुमूल्य घंटों को दिखाता है। ये हिन्दू धर्म के 24 धर्म ऋषियों को भी प्रदर्शित करता है जो “गायत्री मंत्र” की पूरी शक्ति को रखता है (हिन्दू धर्म का सबसे शक्तिशाली मंत्र)। हिमालय के सभी 24 धर्म ऋषियों को 24 अक्षरों के अविनाशी गायत्री मंत्र के साथ प्रदर्शित किया जाता है (पहला अक्षर विश्वामित्र जी के बारे वर्णन करता है वहीं अंतिम अक्षर यज्ञवल्क्या को जिन्होंने धर्म पर शासन किया)।

भारतीय झंडे के मध्य में अशोक चक्र होने के पीछे भी एक बड़ा इतिहास है। बहुत साल पहले, भगवान बुद्ध को मोक्ष की प्राप्ति हुई अर्थात गया में शिक्षा मिली। मोक्ष की प्राप्ति के बाद वो वाराणसी के सारनाथ आ गये जहाँ वो अपने पाँच अनुयायी (अर्थात् पाँच वर्जीय भिक्क्षु) कौनदिन्या, अश्वजीत, भद्रक, महानाम और कश्यप से मिले। धर्मचक्र की व्याख्या और वितरण कर बुद्ध ने उन सबको अपना पहला उपदेश दिया। इसे राजा अशोक द्वारा अपने स्तंभ के शिखर को प्रदर्शित करने के लिये लिया गया जो बाद में भारतीय ध्वज के केन्द्र में अशोक चक्र के रुप में इस चक्र के उत्पत्ति का आधार बना। राष्ट्रीय झंडे के बीच में अशोक चक्र की मौजूदगी राष्ट्र में मजबूत संबंध और बुद्ध में विश्वास को दिखाता है।

अशोक चक्र क्यों नौसेना की तरह नीले रंग में है ?

राष्ट्रीय ध्वज के सफेद पट्टी के केन्द्र में अशोक चक्र का नीला रंग, ब्रह्माण्ड की सच्चाई को दिखाता है। ये आकाश और समुद्र के रंग को भी प्रदर्शित करता है।

भारत के राष्ट्रीय ध्वज की नियमावली क्या है ?

भारत के राष्ट्रीय ध्वज नियमावली को 2002 में लिखा गया और उन्हें कुछ धाराओं के साथ मिलाया गया जैसे: “प्रतीकों के प्रावधान और नाम (गलत इस्तेमाल से रोकथाम के लिये) धारा 1950 (1950 का संख्या 12), धारा 1971 के तहत राष्ट्रीय सम्मान को ठेस पहुँचाने से निवारण के लिये (1971 के संख्या 69)। अंततोगत्वा, “भारत, के ध्वज नियमावली 2002” के रुप में 26 जनवरी 2002 में ध्वज नियमावली प्रभावी हुआ। इसके तीन भाग है जैसे कि:

पहले भाग में राष्ट्रीय ध्वज के सामान्य विवरण दिये हुए है।

दूसरे भाग में सरकारी, निजी संस्था और शिक्षण संस्थानों द्वारा इसके उपयोग को लेकर दिशा-निर्देश दिये गये है। तीसरे भाग में केन्द्रीय और राज्य सरकार तथा इनकी एजेँसीयों के द्वारा इसके इस्तेमाल को लेकर हिदायत दी गयी है।

भारत का राष्ट्रीय ध्वज लहराने से पहले ध्यान रखें ये खास बातें

राष्ट्रीय ध्वज के उपयोग को लेकर सभी नियम, कानून और अधिकार अधिकारिक रुप से भारत के ध्वज कानून के अंतर्गत वर्णित किये गये है जो इस प्रकार है: “ सबसे ऊपरी पट्टी का रंग भारतीय केसरिया और सबसे नीचे की पट्टी का रंग भारतीय हरा होना चाहिये। बीच की पट्टी सफेद होनी चाहिये, तथा इसी पट्टी के मध्य में नीले रंग के चक्र में समान दूरी पर 24 तिलियाँ होनी चाहिये।”

राष्ट्रीय ध्वज को यदि किसी के द्वारा खादी या हाथ से बुने हुए कपड़ों के अलावा किसी और कपड़ो का इस्तेमाल करता है तो जुर्माने के साथ तीन साल की सजा का प्रावधान है। ख़ादी के लिये कॉटन, सिल्क और वुल के अलावा किसी और कपड़ों का इस्तेमाल की सख्त मनाही है। दो प्रकार के ख़ादी से झंडा तैयार होता है (ध्वज के ढ़ाँचे को बनाने के लिये ख़ादी ध्वजपट और पोल को थामे रखने के लिये ध्वज के अंतिम छोर को तैयार करने के लिये मटमैले रंग का कपड़ा आर्थात् ख़ादी-ड्क)।

साथ ही कपड़े के हर एक स्क्वैयर सेंटीमीटर पर केवल 150 धागे ही रहेंगे, एक सिलाई पर चार धागे और एक स्क्वैयर फीट कपड़े का वजन 205 ग्राम होना चाहिए।

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