भारत का एक ऐसा पुल,जिसकी कहानी बहुत आनोखीं है ,जानें पूरी खबर…

भारत में शुरु से ही कुछ न कुछ अनोखी घटना हुई होती है,जो रोचक तथ्यों के साथ जुड़ी होती है।आज हम आपको बता रहें है  भारत के एक ऐसे ही पुल के बारे में जिसकी कहानी कुछ अलग ही है।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  भारत के सबसे लम्बे सेतु ढोला-सदिया सेतु  का लोकार्पण किया जो असम की लोहित नदी के उपर बना है |

 

ढोला सदिया सेतु का नाम असम से आने वाले मशहूर गायक और गीतकार भूपेन हजारिका के नाम पर रखा गया है जिन्होंने संगीत के क्षेत्र में भारत को अपूर्व योगदान दिया है | उन्हें अपनी इस उपलब्धी के लिए पद्मभूषण और पद्मविभूषण जैसे पुरुस्कारों से भी नवाजा गया है | 1926 में जन्मे इस महान गायक का निधन 2011 में हुआ था।

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भूपेन हजारिका पुल  का निर्माण तो तभी शुरू हो गया था जब असम में कांग्रेस सरकार थी | इस प्रोजेक्ट की लागत 950 करोड़ है

3. 2015 में केंद्र सरकार ने सीमावर्ती राज्यों में सडक निर्माण सुधार में दिए गये 15 हजार करोड़ में भी इस प्रोजेक्ट को शामिल किया था |

4. इस पुल की लम्बाई 9.2 किमी है जो मुम्बई के बांद्रा-वर्ली सी लिंक से 30 प्रतिशत ज्यादा लम्बा है |

5. ये पुल  असम के सदिया ग्राम में स्थित है जो गुवाहटी से लगभग 540 किमी दूर है | ढोला-सदिया पुल का दूसरा एंड धोला में है जो अरुणाचल प्रदेश की राजधानी इटानगर से 300 किमी दूर है |

6. एक बार इस पुल के शुरू हो जाने के बाद से असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच यात्रा की दूरी में चार घंटे तक का फर्क आ जाएगा |

7. इस पुल का महत्व इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि अरुणाचल प्रदेश में कोई एअरपोर्ट वर्तमान में चालु अवस्था में नही है इससे यात्री असम आकर विमान यात्रा कर सकेंगे |

8. इस पुल को इस तरीके से बनाया गया है कि 60 टन के युद्ध टैंक का वजन भी सहन कर सकता है |

9. इस पुल का रणनीति के आधार पर भी इसलिए महत्व ज्यादा है क्योंकि एक बार इस पुल के खुलने के बाद सेनाये अरुणाचल प्रदेश तक आसानी से और जल्दी पहुच सकेगी जो कि चीन की सीमा से लगा हुआ है |

10. इस इलाके में बना यह पहला इतना मजबूत पुल है जो टैंक का वजन सहन कर पायेगा वरना सेनाओं को अरुणाचल प्रदेश तक पहुचने में काफी कठिनाई होती थी |

 

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