बगावत के सुर बुलंद, कांटो से भरी होगी भाजपा की राह!

भाजपा में बगावतबिजनौर। सूची जारी होते ही भाजपा में बगावत के सुर बुलंद होने लगे हैं। सभी विधानसभा में टिकट न मिलने से कार्यकता काफी नाराज हैं। नाराजगी के चलते भाजपा नेता पार्टी छोड़ दूसरी पार्टी का दामन थामने के लिए तैयार हैं। कई ने तो दलबदल भी कर लिया है। इतना ही नहीं एक ने तो निर्दलीय उमीदवार बनकर भाजपा के खिलाफ ताल ठोंक दी है। इस कारण भाजपा के लिए  बिजनौर में अपनी साख बचाना मुश्किल हो गया है।

भाजपा में बगावत    

बिजनौर में 8 विधानसभाए हैं, जिनमे लगभग सभी सीटों पर उम्मीदवार भाजपा में बगावत कर रहे हैं।

नामांकन का आख़िरी दिन था और आख़िरी दिन बीजेपी के  तीन बागी नेताओ ने नामांकन कराकर बीजेपी के खिलाफ बगावत शुरू कर दी।

पहली बागी नेता लीना सिंघल है। लीना सिंघल बीजेपी की पुरानी नेता है और सात-आठ सालों से नजीबाबाद विधानसभा से तैयारी कर रही थी।

बीजेपी ने लीना सिंघल को टिकट न देकर राजीव अग्रवाल को टिकट दे दिया, जिससे लीना सिंघल का खेमा नाराज हो गया। परिणाम ये हुआ कि लीना सिंघल रालोद से टिकट हासिल कर बीजेपी के ही खिलाफ चुनाव मैदान में उतर गयी।

उनका ये आरोप भी है कि बीजेपी में नेताओ ने टिकट देने में नियमो को ताक पर रख दिया है। इसका खामियाजा उसे चुनाव में भुगतना पड़ेगा।

बीजेपी के दूसरे बागी नेता का नाम है डॉ इंद्रदेव। डॉ इंद्रदेव बीजेपी से चार बार अफजलगढ़ विधान सभा सीट से विधायक रह चुके है।

इंद्रदेव इस बार बढ़ापुर विधानसभा से बीजेपी का टिकट मांग रहे थे, लेकिन बीजेपी ने मुरादाबाद से सांसद कुँवर सर्वेश के बेटे सुशांत सिंह को उम्मीदवार घोषित कर दिया है।

इसी बात से नाराज इंद्रदेव ने बीजेपी के उम्मीदवार सुशांत सिंह के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरकर ताल ठोक दी।  इंद्रदेव ने भी पार्टी की नीतियों और नियमो पर सवाल खड़े करते हुए कई गंभीर आरोप लगाए हैं।

वहीं बीजेपी के तीसरे बागी नेता एसके वर्मा हैं। पूर्व आईएएस एसके वर्मा बिजनौर के डीएम और मुरादाबाद के कमिश्नर भी रह चुके हैं। रिटायर होने के बाद लगभग 4 सालो से बीजेपी में रहकर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। लेकिन इनको भी बीजेपी ने अफसर शाह होने के कारण टिकट नही दिया। इन्होंने भी पार्टी के खिलाफ बगावत शुरू कर दी है।

अब पूर्व कमिश्नर भी रालोद के टिकट पर चांदपुर से चुनाव लड़ रहे हैं। चांदपुर जाटो का गढ़ है और मिनी छपरौली के नाम से भी चांदपुर को जाना जाता है।

बिजनौर में बीजेपी के लिए राहो में कांटे ही कांटे है। बिजनोर जिले में जाट समुदाय भाजपा से नाराज है और बीजेपी को हराने में अहम भूमिका निभा रहा है। इन्होंने भी बीजेपी के ऊपर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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