दो नहीं तीन पुत्रों के पिता हैं भगवान शिव, ये है तीसरे पुत्र की अनोखी कहानी

भगवान शिवहिंदू धर्म ग्रंथों और पुराणों के अनुसार भगवान शिव ही समस्त सृष्टि के संघारक हैं। उन्हीं से ब्रह्मा, विष्णु सहित समस्त सृष्टि का उद्भव हुआ हैं। भगवान शिव के बारे में ऐसी मान्यता है की उनके सिर्फ दो पुत्र थे गणेश और कार्तिक। लेकिन पुराणों में स्पष्ट है की उनके एक तीसरे पुत्र भी थे। जिनकी बारे में कई अनोखी कथाएं मशहूर हैं। लेकिन उनके वजूद के बारे में ज्यादा लोगों को नहीं पता क्योंकि वो एक मानव के घर में पले थे।

तो आइए आज हम आपको बताते है देवों के देव महादेव के तीसरे पुत्र की कहानी-

महिषि नामक एक राक्षसी ने ब्रहमा जी को प्रसन्न करने की लिए कठोर तपस्या की। ब्रहमा जी ने उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर उसे एक अभेद वरदान दे दिया। इस वरदान से उसे विष्णु और शिव की मिली-जुली शक्ति प्राप्त हो गई। इतनी शक्ति पाने के बाद महिषि उस वरदान का गलत उपयोग करने लगी। महिषि ने मानव जाति के साथ देवी – देवताओं को परेशान कर डाला। तब भगवान विष्णु ने आहत होकर मोहिनी का रूप धारण कर लिया। मोहिनी के रूप में विष्णु भगवान सभी राक्षसों को रिझाया करते थे। लेकिन इस बार मोहिनी रूपी भगवान विष्णु ने शिव को रिझा लिया। तब भगवान शिव और मोहिनी के मिलन से शिवजी के तीसरे पुत्र का जन्म हुआ। उनके इस तीसरे पुत्र का नाम अय्यप्पन रखा गया। अय्यप्पन के धरती पर जन्म लेने के कारण राजा पंडलम ने उन्हें गोद ले लिया। बड़े होकर महादेव के इसी तीसरे पुत्र अय्यप्पन ने महिषि का वध किया।

आज भी होती है पूजा-

केरला के सबरीमाला जिले में अय्यप्पन को भगवान के रुप में आज भी पूजा जाता है। इनका आशीर्वाद लेने दुनिया भर से भक्तगण यहां आते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में आने वाला कभी खाली हाथ वापस नहीं जाता। साथ ही इस अय्यप्पा मंदिर में जाने वाले भक्त 15 दिन पहले से शाकाहारी जीवन जीते हैं। इसके बाद हीं वो अय्यप्पा भगवान के दर्शन कर पाते हैं।

मंदिर तक पहुंचने के लिए जंगलों के रास्ते पैदल चलकर सफर पूरा करना पड़ता है। यहां की सोने की सीढ़ियां मंदिर के मुख्य आकर्षण का केंद्र है। मंदिर के गर्भगृह में पहुंचने के लिए 18 पवित्र सीढ़ियों पर चढ़कर जाना होता है।

इन 18 सीढ़ियों की भी अपनी अलग-अलग मान्यताएं हैं। पहली 5 सीढ़ियां मनुष्य की पांच इंद्रियों को दर्शाती है। अगली 8 सीढ़ियां मनुष्य की भावनाओं को बताती हैं। जबकि अगली 3 सीढ़ियां मानवीय गुण और अंत की 2 सीढ़ियां ज्ञान और अज्ञान के प्रतीक के रूप में जानी जाती है।

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