डिफॉल्टरों को छोड़ भगवान के पीछे पड़ी सरकार, जारी किया टैक्स वसूली का फरमान

भगवान को भी टैक्सनई दिल्ली : देश के निर्माण में टैक्स बहुत बड़ी भूमिका निभाता है. इमानदार व्यक्ति नियमों का पालन करते हुए अपना टैक्स पे भी करते हैं. लेकिन अब सिर्फ इमानदार बड़े आदमियों को ही नहीं बल्कि भगवान को भी टैक्स भरना पड़ेगा. ये हैरान करने वाली, पर सच्ची ख़बर हरियाणा की है. जहां प्रॉपर्टी टैक्स भरने के लिए बकायदा देवी-देवताओं के नाम और उनके निवास स्थान (मंदिर) पर नोटिस जारी किया गया है. वसूली के लिए जारी इस नोटिस की बिलराशि लाखों रुपये में हैं.

भगवान को भी टैक्स पे करने का फरमान

नगरपरिषद ने शहर के संन्यास आश्रम मंदिर को 2 लाख 77 हजार रुपये का प्रॉपर्टी टैक्स बिल भेजा गया है. दुर्गा माता को उनके मंदिर के लिए 1 लाख, 10 हजार रुपये का प्रॉपर्टी टैक्स भरने का नोटिस भेजा गया है. इसके साथ ही शहर के बाबा रामदेव जी को उनके मंदिर के लिए करीब 14 हजार 466 रुपये का बिल भेजा गया है. इतना ही नहीं, नगर परिषद ने तो शमशान भूमि सभा से भी प्रॉपर्टी टैक्स की डिमांड करते हुए बिल भेज दिया है. हालांकि नगरपरिषद की इस कार्रवाई से लोग काफी हैरान परेशान हैं कि आखिर भगवान से भी प्रॉपर्टी टैक्स कैसे वसूला जा सकता है.

संन्यास आश्रम मंदिर कमेटी के प्रधान अशोक नारंग ने कहा कि इस आश्रम की स्थापना 78 साल पहले हुई थी. आज तक किसी भी सरकार ने टैक्स भरने का नोटिस नहीं दिया. यह पहली बार है कि इस तरह से टैक्स भरने का नोटिस मिला है और वो भी करीब 3 लाख रूपये का.

वहीं दूसरी तरफ इन नोटिसों से विभिन्न मंदिरों के प्रबंधक कमेटी के पदाधिकारी हैरान-परेशान हैं क्योंकि आज तक कभी मंदिरों का प्रॉपर्टी टैक्स नहीं मांगा गया था. लेकिन इस बार ऐसा हुआ है और मंदिरों से हजारों रुपये का प्रॉपर्टी टैक्स लंबित दिखाया गया है.

नोटिस प्राप्त होने वाले मंदिरों की कमेटियों के प्रधानों ने उक्त मामले को लेकर नगर परिषद चेयरमैन दर्शन नागपाल से बातचीत की और उन्हें पत्र सौंपकर मंदिरों का टैक्स माफ किए जाने का आग्रह किया है.

मामले को तूल पकड़ता देख नगर परिषद चेयरमैन दर्शन नागपाल ने सफाई देते हुए कहा कि धार्मिक जगहों के प्रॉपर्टी टैक्स के लिए सर्वे एक कंपनी की ओर से किया गया है जो कि पिछली सरकार में हुआ था. हमारे संज्ञान में सामने आया है कि कंपनी की ओर से बिल भेजे गए और हमने बिल बंटवा दिए. लेकिन धार्मिक जगहों के लिए जारी हुए बिलों की जांच और उचित निवारण के लिए 5 सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया गया है.

आपको बता दें कि अभी भी देश में तमाम ऐसे टैक्स डिफॉल्टर हैं जिन्होंने सरकार को टैक्स के नाम पर अंगूठा दिखाया है. ऐसे में नगरपरिषद का ये फरमान कितना सही साबित होगा ये तो वक़्त ही बातएगा.

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