ब्रेग्जिट से विश्‍व भर के बाजारों में कोहराम

ब्रेग्जिटमुंबई। ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर होने के फैसले से आज दुनिया भर के शेयर बाजारों में कोहराम मच गया। इसके दबाव में बीएसई और एनएसई के सूचकांक भी दो प्रतिशत से अधिक लुढ़क गये जिससे निवेशकों को पौने दो लाख करोड़ रुपये की चपत लगी। डॉलर की तुलना में रुपया भी एक प्रतिशत से ज्यादा लुढ़क गया। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल पाँच प्रतिशत से अधिक की गिरावट में रहा। हालाँकि, सुरक्षित निवेश माना जाने वाला सोना 1,205 रुपये चढ़कर घरेलू बाजार में सवा दो साल के उच्चतम स्तर 30,875 रुपये प्रति दस ग्राम पर पहुँच गया। ब्रिटेन में यूरोपीय संघ से अलग होने  या‍नी ब्रेग्जिट के मुद्दे पर गुरुवार को जनमत संग्रह हुआ था। शुक्रवार को मतगणना में यह स्पष्ट होने के बाद कि लोगों ने इसके पक्ष में मतदान किया है दुनिया भर के शेयर, मुद्रा तथा कच्चा तेल बाजारों में कोहराम मच गया। बीएसई का सेंसेक्स 634.74 अंक लुढ़ककर 26,367.48 अंक पर खुला। एक समय यह 1,090.89 अंक लुढ़ककर 25,911.33 अंक तक फिसल गया था। लेकिन, बाद में सरकार और रिजर्व बैंक (आरबीआई) के इस बयान से कि भारतीय अर्थव्यवस्था की नींव काफी मजबूत है और जरूरत पड़ने पर केंद्रीय बैंक बाजार में तरलता बनाये रखने के लिए डॉलर तथा रुपया उपलब्ध कराने से नहीं हिचकिचायेगा, शेयर बाजार में धारणा सुधरी और सेंसेक्स 26,397.71 अंक पर बंद होने में सफल रहा।

ब्रेग्जिट से भारत पर होगा खास असर

एनएसई का निफ्टी 181.85 अंक टूटकर 26 मई के बाद 8,100 अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे 8,088.60 अंक पर बंद हुआ। वित्त मंत्रालय ने चीन की यात्रा पर गये वित्त मंत्री अरुण जेटली का एक बयान जारी किया जिसमें उन्होंने कहा कि भारत ब्रेग्जिट के तात्कालिक और मध्यम अवधि के प्रभावों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। वृहद अर्थव्यवस्था की हमारी नींव मजबूत है। पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार के रूप में हमारे तात्कालिक और मध्यावधि सुरक्षा कवच भी मजबूत हैं। उन्होंने कहा कि सरकार और रिजर्व बैंक पूरी तरह तैयार हैं तथा तात्कालिक उथल-पुथल से निपटने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने निवेशकों को आश्वस्त किया कि भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार मजबूत है, बाहरी उधारी कम है और विदेशी मुद्रा भंडार प्रर्याप्त है। इससे आने वाले दिनों में देश की आर्थिक स्थिति अच्छी रहनी चाहिये। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय बाजारों के रुख पर लगातार नजर रखे हुये है। पूँजी बाजार में व्यवस्था बनाये रखने के लिए डॉलर और रुपये की तरलता बनाये रखने समेत सभी जरूरी कदम उठाये जायेंगे। अपनी ब्रितानी इकाई जगुवार लैंड रोवर्स से राजस्व का एक बड़ा हिस्सा कमाने वाली टाटा मोटर्स ने सेंसेक्स में सबसे ज्यादा 7.99 प्रतिशत का नुकसान उठाया। एक समय उसके शेयर 11 प्रतिशत से ज्यादा उतर गये थे।

ब्रिटेन में घाटे में चल रहे इस्पात कारोबार को बेचने की प्रक्रिया में शामिल टाटा स्टील के शेयरों में 6.37 प्रतिशत की दूसरी सबसे बड़ी गिरावट रही। मजबूत डॉलर और शेयर बाजार की गिरावट के दबाव में रुपया भी 63 पैसे फिसलकर 67.88 रुपये प्रति डॉलर पर खुला। शुरुआती कारोबार में ही 68.21 रुपये प्रति डॉलर तक लुढ़क गया। कारोबारियों ने बताया कि इसके बाद रिजर्व बैंक ने वाणिज्यिक बैंकों के जरिये डॉलर की बिकवाली शुरू की जिससे यह 68 रुपये प्रति डॉलर से ऊपर पहुँचने में सफल रहा। इसके बावजूद यह लगभग चार महीने के निचले स्तर पर बंद हुआ। डॉलर के मुकाबले पाउंड में अब तक की सबसे बड़ी 10 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई और यह वर्ष 1985 के बाद के निचले स्तर पर आ गया। विदेशी शेयर बाजारों में जापान का निक्की 7.92, हांगकांग का हैंगसैंग 2.92, दक्षिण कोरिया का कोस्पी 3.09 और चीन का शंघाई कंपोजिट 1.33 फीसदी लुढ़क गया। ब्रिटेन का एफटीएसई भी शुरुआती कारोबार में 4.79 प्रतिशत गिर गया।

भारत-ब्रिटेन व्यापारिक रिश्ते के खास बिंदु

किसी एक देश के साथ भारत के द्विपक्षीय व्यापार में ब्रिटेन का 12वां स्थान

जिन 25 देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार भारत के पक्ष में झुका हुआ है, उनमें ब्रिटेन का सातवां स्थान।

द्विपक्षीय व्यापार 2015-16 में 14.02 अरब डॉलर था। इसमें भारत का निर्यात 8.83 अरब डॉलर और आयात 5.19 अरब डॉलर था। यानी, यह भारत के पक्ष में 3.64 अरब डॉलर झुका था।

ब्रिटेन भारत का तीसरा सबसे बड़ा निवेशक है। 2000-2015 में उसने देश में 22.56 अरब डॉलर निवेश किया है।

भारत भी ब्रिटेन में तीसरा सबसे बड़ा निवेशक है। पिछले वर्ष में ही अनुमानित 2.75 अरब डॉलर निवेश।

सेवा क्षेत्र में 2014 में करीब 2.5 अरब पाउंड का द्विपक्षीय व्यापार।

ब्रिटेन में भारतीय स्वामित्व वाली कंपनियों की संख्या 800 से अधिक होने का अनुमान, जिनमें 1,10,000 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं। इनमें सबसे चर्चित है टाटा मोटर्स, जो जगुआर लैंड रोवर का संचालन करती है।

ब्रिटेन की अन्य भारतीय कंपनियां सूचना प्रौद्योगिकी, फार्माश्यूटिकल, क्रिएटिव और वित्तीय सेवा क्षेत्र में काम करती हैं।

भारतीय उद्योग परिसंघ के मुताबिक भारत शेष यूरोप के मुकाबले ब्रिटेन में अधिक निवेश करता है।

ब्रेग्जिट का ईयू पर अप्रत्याशित, कल्पनातीत प्रभाव

यूरोपीय संघ (ईयू) से ब्रिटेन के अलग होने यानी ब्रेग्जिट के फैसले का ईयू पर अप्रत्याशित और कल्पनातीत प्रभाव पड़ेगा। यह चेतावनी शुक्रवार को ब्रसेल्स स्थित उद्योग संघ ‘यूरोप इंडिया चैंबर ऑफ कॉमर्स’ के महासचिव सुनील प्रसाद ने दी। उन्होंने कहा, “मतदान ने ईयू की एकता और अखंडता को झटका दिया है। ब्रिटेन अलग हो गया है, ईयू कमजोर हो गया है और ब्रसेल्स टूट गया।”

प्रसाद ने कहा कि मतदान से निश्चित रूप से ब्रिटेन में कारोबार करने वाली भारतीय कंपनियों को शुरू में दिक्कत होगी। उन्होंने हालांकि कहा कि इससे भारतीय कंपनियों को अलग-अलग देश के साथ द्विपक्षीय व्यापारिक वार्ता करने का एक नया रास्ता भी मिल सकता है।

उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियों की ईयू में अच्छी खासी बाजार हिस्सेदारी बनी रहेगी और व्यापारिक बाधा बढ़ने की कोई संभावना नहीं है।

उन्होंने कहा, “यूरोप की आर्थिक समृद्धि में गिरावट और तेजी से वापसी की कम संभावना और शरणार्थी समस्या पर ठोस नीतियों के अभाव के कारण यह माना जा रहा था कि ब्रिटेन यूरोपीय संघ से अलग हो जाएगा।”

उन्होंने कहा, “मुझे डर है कि कई यूरोपीय देश, जो ईयू की आर्थिक और शरणार्थी नीतियों से सहमत नहीं हैं, किसी न किसी बहाने जनमत संग्रह की फिराक में रहेंगे। यह ईयू की एकता और अखंडता के लिए स्थायी खतरा है। इसकी भी कोई गारंटी नहीं है कि ईयू के कई दूसरे सदस्य अपने हित में ईयू पर दबाव बनाने से नहीं हिचकेंगे।”

बैंक ऑफ इंग्लैंड विपरीत स्थिति से निपटने को तैयार

यूरोपीय संघ (ईयू) से बाहर होने यानी ब्रेग्जिट के ब्रिटेन के फैसले के बाद बाजार में छाए असमंजस को दूर करने के लिए बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर मार्क कार्नी ने शुक्रवार को कहा कि वह बाजार में 250 अरब पाउंड की अतिरिक्त तरलता बढ़ाने और दूसरे जरूरी उपाय करने के लिए तैयार है। कार्नी ने यहां संवाददाताओं से कहा, “बैंक ऑफ इंग्लैंड ब्रेग्जिट के लिए पूरी तरह तैयार है। यह 250 अरब स्टर्लिग की अतिरिक्त तरलता देने के लिए तैयार है। जरूरत पड़ने पर और तरलता बढ़ाने के लिए भी यह तैयार है।”

उन्होंने कहा, “कुछ सप्ताहों में बैंक की फिर एक बैठक होगी और अन्य जिम्मेदारियों पर विचार किया जाएगा।”

उन्होंने कहा, “बैंक ऑफ इंग्लैंड ने एक प्रणाली स्थापित की है, जो यह सुनिश्चित करेगी कि वित्तीय प्रणाली के केंद्र में पूंजी निवेश होता रहे और उसमें समुचित तरलता हो।”

उन्होंने कहा कि ब्रिटेन का केंद्रीय बैंक प्रणाली में तरलता बनाए रहेगा, ताकि इसकी वित्तीय सेवा से अर्थव्यवस्था को सुचारु बनाए रखने के लिए सहायता मिलती रहे।

कार्नी ने कहा, “अर्थव्यवस्था नए संबंध के साथ खुद का समायोजित करेगी।”

बैंक ऑफ इंग्लैंड का मानना है कि ब्रेग्जिट से विकास प्रभावित होगा और अर्थव्यवस्था के मंदी में फंसने का खतरा है।

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