गोद नहीं ले सकते ‘गोरा बच्चा’, चाहिए तो भारत जाओ

ब्रिटिश सिख दंपत्तिब्रिटेन में एक बार फिर भारतीय मूल के लोंगों से भेदभाव का मामला सामने आया है। यहां रह रहे ब्रिटिश सिख दंपत्ति को ‘गोरा बच्चा’ गोद लेने की मंजूरी नहीं दी गई है। साथ ही उन्हें सलाह दी गई है कि अगर गोरा बच्चा चाहते हैं तो भारत जाकर अपनी चाहत पूरी कर सकते हैं।

ब्रिटिश सिख दंपत्ति संदीप और रीना मंदर गोरा बच्चा गोद लेने गए तो उनसे कहा गया कि वो सांस्कृतिक विरासत की वजह से बच्चा नहीं ले सकते हैं, उन्हें गोरा बच्चा गोद लेने की मंजूरी नहीं दी गई हैं. उन्हें सलाह दी कि उन्हें अगर गोरा बच्चा गोद लेना हैं तो वो भारत या पाकिस्तान का रुख करें।

ब्रिटिश सिख दंपत्ति ने बताया कि वे अपनी सांस्कृतिक विरासत के कारण एक गोरा बच्चा गोद नहीं ले सकते। संदीप और रीना मंदर ने कहा कि उन्हें ‘भारत से एक बच्चे को अपनाने की सलाह दी गई’। दंपति ने एक गोद लेने वाली एजेंसी को बताया कि वे किसी भी जातीय पृष्ठभूमि से एक बच्चे को अपनाना चाहते हैं।

दंपति का दावा है कि एजेंसी ने कहा है कि उन्हें आवेदन नहीं करना चाहिए क्योंकि केवल सफेद बच्चे ही उपलब्ध थे। उनसे कहा गया कि सफेद ब्रिटिश या यूरोपीय माता-पिता को प्राथमिकता दी जाएगी।

ब्रिटिश दंपति संदीप ने सेवाओं के प्रावधान में भेदभाव का आरोप लगाते हुए अब निर्णय रद्द करने की कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है।

एएचआरसी के अध्यक्ष डेविड इसाक ने कहा, ‘कई बच्चे संदीप और रीना जैसी एक प्रेमपूर्ण परिवार की प्रतीक्षा कर रहे हैं ताकि उन्हें बेहतर जीवन दे सकें। तथाकथित सांस्कृतिक विरासत की वजह से इनकार करना गलत है। ‘ 2015 में वरिष्ठ न्यायाधीशों ने एक परीक्षण मामले पर फैसला किया था, जिसने एक सफेद ब्रिटिश दंपति द्वारा दो काले अफ्रीकी लड़कों को अपनाया था।

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