बेहद खास है वर्ल्ड टूर फाइनल्स खिताब : सिंधु

ग्वांगझू (चीन), 17| भारत की अग्रणी महिला बैडमिंटन खिलाड़ी पी.वी. सिंधु के लिए बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड टूर फाइनल्स में मिली ऐतिहासिक खिताबी जीत कई मायनों में बेहद खास है।

सिंधु ने अपनी खिताबी जीत के बाद आईएएनएस से कहा कि इस बार उन्हें फाइनल में आकर हार का सामना नहीं करना पड़ा है और उन्हें रजत से संतोष नहीं करना पड़ा। सिंधु को खुशी है कि वह इस बार किसी बड़े टूर्नामेंट से सिर्फ रजत लेकर घर नहीं लौटी हैं।

सिंधु ने कहा, “मेरे लिए यह जीत इसलिए भी खास है क्योंकि एक बड़े टूर्नामेंट के फाइनल में आकर मुझे निराशा का सामना नहीं करना पड़ा। काफी समय से मैं फाइनल में आकर हार जाती थी। इस बार मुझे रजत पदक से संतोष नहीं करना पड़ रहा है और मैं स्वर्ण के साथ घर लौट रही हूं। मैं इससे बेहद खुश हूं। आशा है कि इस लय को मैं अगले साल भी बरकरार रखूंगी।”

वल्र्ड नम्बर-6 सिंधु ने रविवार को बीडब्ल्यूएफ वल्र्ड टूर फाइनल्स का खिताब अपने नाम किया। सिंधु इस खिताब को जीतने वाली पहली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी बन गईं। इससे पहले किसी भी भारतीय खिलाड़ी ने किसी भी वर्ग में इस टूर्नामेंट का खिताब नहीं जीता था।

इस जीत पर सिंधु ने कहा, “मैं इस खिताबी जीत से बेहद खुश हूं और मुझे लगता है कि मेरे लिए बेहद गर्व की बात है, क्योंकि साल के आखिरी महीने में मैंने यह खिताब जीता है और एक अच्छे स्तर पर साल का समापन किया।”

सिंधु ने रविवार को महिला एकल वर्ग के फाइनल में जापान की नोजोमी ओकुहारा को मात दी। उन्होंने वल्र्ड नम्बर-5 ओकुहारा को एक घंटे और दो मिनट तक चले मैच में सीधे गेमों में 21-9, 21-17 से हराकर खिताबी जीत हासिल की।

ओकुहारा के खिलाफ खेले गए मैच के बारे में सिंधु ने कहा, “ये मैच भले ही में सीधे सेटों में जीती थी लेकिन यह काफी लंबा मैच था। ओकुहारा ने भी अच्छा खेला। मैच के दौरान हम दोनों के बीच की रैली भी काफी देरी तक चलीं। हालांकि, मेरा ध्यान अंक हासिल करने पर था और मैं संयम बनाए रखते हुए खेल रही थी।”

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सिंधु ने इस टूर्नामेंट के पहले मैच में जापान की वल्र्ड नम्बर-2 अकाने यामागुची को मात दी। इसके बाद उन्होंने वर्ल्ड नम्बर-1 चीनी ताइपे की ताइ जू यिंग को हराया। इसके बाद वह अमेरिका की बीवन झांग को हराकर सेमीफाइनल में पहुंची।

रियो ओलम्पिक की रजत पदक विजेता ने सेमीफाइनल में थाइलैंड की रातचानोक इंतानोन को हराकर खिताबी मुकाबले में कदम रखा और अंत में ओकुहारा को हराकर खिताब अपने नाम किया।

सिधु ने कहा, “मैंने इस टूर्नामेंट में शुरुआत से ही अच्छा खेली। शुरुआत से ही मुझे मुश्किल प्रतिस्पर्धा मिली थीं लेकिन मैंने अपना प्रयास जारी रखा।”

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