बेहतरीन वास्तुशिल्प की कहानी बयां करता वाराणसी का नेपाली मंदिर, जानिए क्यों है इतना खास

REPORT-KASHI NATH SHUKLA/VARANASI

वाराणसी में स्थित नेपाली मंदिर की कहानी बहुत ही दिलचस्प है और ये आपको सीधे 19 वीं सदी के काल में ले जाती है। जैसा कि आपको नाम से ही पता चला रहा है, यह नेपाली मंदिर नेपाली वास्तुशैली में बना हुआ है। दिलचस्प बात है कि यह वाराणसी के सबसे पुराने शिव मंदिरों में से एक है। जी हाँ, आपने बिल्कुल सही सुना, यह नेपाली मंदिर गंगा जी के तट ललिता घाट पर इस नेपाली मंदिर के प्रमुख देवता भगवान शिव हैं। पशुपतिनाथ मंदिर की तर्ज पर बनेह मंदिर अपनी नक्काशी कलाकृति के साथ मनमोहक है जो दर्शनार्थियो  को अपनी ओर आकर्षित करता है, और भक्त दर्शन पूजन कर भगवान शिव से आशीर्वाद की प्राप्ति करते है,

क्या है इस मंदिर की कहानी-

नेपाली मंदिर की कथा के विषय में कहा जाता है कि पहले नेपाल के राजा रण बहादुर शाह ने वाराणसी में निर्वासन ले लिया। उन्होंने ही निश्चय किया कि वह नेपाल की राजधानी काठमांडू में स्थापित पशुपतिनाथ मंदिर की ही तरह हूबहू एक शिव मंदिर यहाँ भी बनवाएंगे। हालाँकि उनके निर्वासन के दौरान मंदिर का निर्माण कार्य शुरू तो हो गया।

वाराणसी का नेपाली मंदिर

मंदिर के निर्माण कार्य को सम्पूर्ण रूप राजा रण बहादुर शाह के पुत्र उनकी मृत्यु के बाद मंदिर को पुत्र गिरवान युद्धा राजेन्द्र वीर बिक्रम शाह देव ने बनवा कर पूरा किया। नेपाली मंदिर की रचना को जैसा कि यह मंदिर लकड़ी का बना हुआ है इसलिए इसे ‘कांठवाला मंदिर’ भी कहते हैं, कांठ मतलब लकड़ी। यह मंदिर शाखु की लकड़ी और पत्थर के इस्तेमाल से नेपाली वास्तुशैली में बनाया गया है। यह रचना नेपाली कारीगरों की उत्कृष्ट शिल्प कौशल को बखूबी दर्शाती है। इसलिए यह वाराणसी के कुछ खास मंदिरों में से एक है।

शानकांठवाला मंदिर से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें-

अंदर बाहर स्थित प्रसिद्द किलों की शानकांठवाला मंदिर से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें है, नेपाली मंदिर यानि की अपने इस कांठवाले मंदिर में विभिन्न कलाकृति भी की गई है, इसे ऐसा इसलिए कहा जाता है क्यूंकि इस लकड़ी के मंदिर में जो मूर्तियां खुदी हुई हैं वे खजुराहो स्मारक के समान दिखती हैं, इसलिए इसमें खजुराहो की आकृति भी देखने को मिल जाएगी।

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हालाँकि यह रचना लकड़ी की बनी हुई है, पर फिर भी यह दीमक मुक्त है। यह मंदिर स्थानीय कारीगरों और राजगीरों की निपुणता को दर्शाता हुआ आज भी समय की कसौटी पर पूरी तरह खरा उतरा है।

इसलिए आप अपनी वाराणसी की यात्रा में इस मंदिर के दर्शन कर पशुपतिनाथ दर्शन का एहसास कर सकते है, नेपाली मंदिर वाराणसी के ललिता घाट के पास ही स्थित है। ललिता घाट में शिव मंदिर के साथ-साथ ललिता गौरी मंदिर भी स्थापित है। वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर से नेपाली मंदिर कुछ ही दूरी पर गंगा तट पर है,

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