लखीमपुर में नोटबंदी से 20 फीसदी शादियां टलीं

लखीमपुर खीरी। 500 और 1000 रुपये के नोट बंद होने से सबसे ज्यादा असर शादी बारातों पर पड़ने लगा है। बेटे-बेटियों की शादी की डेट फाइनल कर लोग तैयारियों में व्यस्त थे। इस बीच नोट बंद हो गए।

बेटे-बेटियों की शादी

पैसों का इंतजाम न होने से करीब 20 फीसदी शादियों की डेट निरस्त हो गई है। अब आगे का मुहूर्त देखा जा रहा है। नोटबंदी से उन युवाओं के अरमानों पर पानी फिर गया है, जिनकी शादी की तैयारियां फाइनल हो चुकी थीं।

चातुर्मास के बाद सहालगें शुरू होते ही डेट फाइनल कर तैयारियां शुरू कर दी थीं। 16 से 14 दिसंबर तक एक महीने की सहालग है। इस बीच शादी बारातों के कार्यक्रम फाइनल हो गए थे। बैंडबाजा से लेकर बारात घरों की बुकिंग और मेहमानों को निमंत्रण भी भेज दिए गए। तेजी से तैयारियां चल रही थीं। इस बीच नोट बंद हो गए।

शादी की तारीख नजदीक आ गई और पुराने नोट चल नहीं रहे हैं। कैसे टेंट का भुगतान होगा, कैसे बारातघर का पैसा दिया जाएगा। बैंडबाजा वाले भी तुरंत पैसा मांगेंगे। पैसा कहां से आएगा? इन सब दिक्कतों को देख लोग अब शादी की तरीख आगे बढ़ाने के लिए मुहूर्त की तलाश में लगे हैं।

पुरोहितों का कहना है कि उनके पास कई लोग डेट आगे बढ़ाने के लिए आ चुके हैं।

पंडित शिवराम उपाध्याय ने बताया कि लग्नें सिर्फ 14 दिसंबर तक हैं। इसके बाद धनु की संक्रांति लग जाएगी और एक महीने के लिए फिर कोई मांगलिक कार्य नहीं होगा।

भगवान विष्णु के चार महीने तक क्षीरसागर में जाने के बाद देवोत्थानी एकादशी के बाद से ही बेटे-बेटियों की शादी की तिथि लोगों ने सहालगों में तय कर रखी थी। अब जब डेट नजदीक आई तो नोटबंदी ने बीच में खलल डाल दिया।

नवंबर महीने में दो चार, आठ, नौ और 12 दिसंबर को बड़ी लगने हैं। इन लगनों में सभी बारातघर, बैंड बाजा, टेंट हलवाई सभी की एडवांस बुकिंग हैं। घरों में शादी की तैयारियां तेजी से चल रही थीं। इस बीच अचानक नोट बंद होने से खुशियों पर पानी फिर गया। अब लोग आगे का मुहूर्त निकलवाने में लगे हैं। वही एडवांस बुकिंग का पैसा भी पानी में जाता दिख रहा है।

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