बेटे को किसान बनाने के लिए मां ने छोड़ी सरकारी नौकरी

मां
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भोपाल| यह खबर हैरत में डालने वाली है। आज के दौर में हर मां-बाप का सपना बच्चों को बड़े स्कूलों में पढ़ाकर अच्छी नौकरी दिलाना होता है, वहीं एक दंपती ऐसा भी है, जिन्होंने अपने बेटे को किसान बनाने की ठानी है। इस मकसद को पूरा करने के लिए उन्होंने न केवल राजस्थान छोड़कर इंदौर के पास असरावद बुजुर्ग गांव में बसेरा बना लिया, बल्कि मां चंचल कौर ने रेलवे की सीनियर मैट्रन की नौकरी भी छोड़ दी।

नौकरी भी ऐसी वैसी नहीं, 90 हजार रुपये प्रति महीने वेतन वाली। रेलवे में कैशियर पिता राजेंद्र सिंह ने भी लंबी छुट्टी ले ली है और जल्द ही वह भी नौकरी छोड़ने जा रहे हैं। आठ साल के बेटे गुरबख्श सिंह की बुआ को कैंसर होने के बाद दंपती ने यह फैसला लिया है।

राजेंद्र सिंह और चंचल कौर ने अजमेर से आकर करीब छह महीने पहले असरावद बुजुर्ग गांव में दो बीघा जमीन खरीदी। उनका इस गांव से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने परिचितों से इंदौर के बारे में सुना था। उन्होंने आसपास के कई गांवों का सर्वे किया। उपजाऊ जमीन, बच्चे की पढ़ाई, कनेक्टिविटी आदि को देखते हुए असरावद बुजुर्ग गांव को चुना।

बेटे गुरबख्श का एडमिशन यहां से करीब 25 किमी दूर इंदौर के एक केंद्रीय स्कूल में करवा दिया है। साथ ही खेत में ही घर बनाने का काम भी शुरू कर दिया है। बकौल राजेंद्र, उनका घर सौर ऊर्जा से रोशन होगा और इसी से खाना भी बनेगा।

आठ साल का गुरबख्श इन दिनों किसान बनने की ट्रेनिंग ले रहा है। पूरा परिवार सुबह छह बजे से आसपास के खेतों में जाकर खेती की बारीकियां समझता है। गुरबख्श के स्कूल से लौटने के बाद ट्रेनिंग फिर शुरू होती है। उसे गाय, भैंस और बकरियों के बीच रखकर पूरी तरह गांव के महौल में ढालने की कोशिश हो रही है।

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