…और मासूम को भेजना पड़ गया जेल

बेगुनाह मासूमजबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर में एक पांच साल के बेगुनाह मासूम बच्चे को सिर्फ इसलिए जेल जाना पड़ा है, क्योंकि उसके दादा ने घोटाला किया और इस घोटाले की रकम में उसकी दादी व माता-पिता हिस्सेदार बने हैं। परिवार के इन सभी दोषियों को जब जेल की सजा चुनाई गई, तो न्यायालय ने मासूम को भी मां के साथ जेल में रहने की अनुमति दे दी। सीबीआई के लोक अभियोजक प्रतीश जैन ने संवाददाताओं को बताया, “पेंशनर्स और मृत सैन्य कर्मचारियों को कर्ज बांटे जाने में हुए घोटाले का खुलासा वर्ष 2010 में हुआ था। सीबीआई ने मामले की जांच की तो पता चला कि तत्कालीन सहायक लेखाधिकारी सूर्यकांत गौर ने 29 पेंशनर्स और मृत सैन्य कर्मचारियों के नाम पर धनराशि निकाली थी। जांच में पाया गया कि गौर ने इस राशि को पत्नी विनीता गौर, बेटा शिशिर गौर व बहू सुनीता गौर के नाम पर कई स्थानों पर निवेश किया है। इसके अलावा जबलपुर में एक मकान भी खरीदा है।”

बेगुनाह मासूम को मिली मां के साथ रहने की अनुमति

जैन के अनुसार, सीबीआई ने आय से अधिक संपत्ति की शिकायत पर जुलाई 2010 में गौर के पास से 94 लाख रुपये के निवेश का ब्योरा पाया, जिसमें कई लाख रुपये आय से अधिक थे। इस पर सीबीआई ने प्रकरण दर्ज किया और विशेष न्यायाधीश योगेश चंद्र गुप्त की अदालत में चालन पेश किया।

लोक अभियोजक जैन ने कहा, “इस मामले की सुनवाई के दौरान गौर को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दोषी करार दिया गया। इस मामले में गौर व उसके परिवार के तीन अन्य सदस्यों को सजा सुनाई गई है।”

जैन के अनुसार, “न्यायाधीश गुप्त ने गौर के अलावा उनकी पत्नी, बेटा व बहू को शुक्रवार को पांच-पांच साल कैद की सजा सुनाई और सभी पर अलग-अलग ढाई-ढाई लाख रुपये जुर्माना भी लगाया है। गौर के बेटे शिशिर का एक पांच साल का बेटा भी है, जो निर्दोष है, उसे परिजनों के आग्रह पर जेल में रखने की अनुमति दे दी गई है।”

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