बुंदेलखंड : हरे-भरे गांव को सरकारी मशीनरी ने रुलाया

बुंदेलखंडटीकमगढ़। किसान नंदराम अहिरवार का प्रफुल्लता से भरा और खिलखिलाता चेहरा बरबस अपनी ओर ध्यान खींच लिया करता था, मगर इस समय नंदराम का चेहरा उदासी भरा है और आंखों में आंसू। सरकारी मशीनरी ने उसके गांव की बिजली काट दी है, जिससे खेतों में खड़ी फसल बर्बादी की कगार पर पहुंच गई है। यह कहानी है सूखा की पहचान बन चुके बुंदेलखंड के ग्याजीतपुरा गांव की। यह गांव मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में आता है, यहां के किसानों ने प्रकृति से लड़ते हुए बारिश के पानी को रोका, पानी को बर्बाद नहीं होने दिया और अपने खेतों को हरा भरा बनाया। इस गांव में पहुंचते ही यह एहसास ही नहीं होता था कि यह इलाका बुंदेलखंड का है, मगर अब इस गांव की हरियाली छिनने की कगार पर पहुंच गई है।

सूखे की समस्या से जूझ रहे बुंदेलखंड के हर हिस्से में खेत के वीरान पड़े हैं, पलायन, जलस्रोत सूख चुके हैं। वहीं ग्याजीतपुरा गांव इन सबसे अछूता है और यह गांव एक मॉडल के तौर पर उभरा है। यह सब सरकार के प्रयासों से नहीं, बल्कि गांव के लोगों ने कर दिखाया है। अब इस गांव को भी सरकारी मशीनरी ने बुंदेलखंड के अन्य स्थानों जैसे हाल पर पहुंचाने की ठान ली है।

राज्य की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने साफ निर्देश जारी किए हैं कि बकाये के नाम पर बिजली न काटी जाए और वसूली रोकी जाए, फिर भी टीकमगढ़ के मोहनगढ़ तहसील की बहादुरपुरा पंचायत के ग्याजीतपुरा गांव की बिजली इसलिए काट दी गई है, क्योंकि गांव पर लगभग तीन लाख की वसूली बकाया है।

नंदराम अहिरवार बताते हैं कि उनके खेत में पपीता, मिर्ची, टमाटर और अरबी लगी हुई है। पैदावार अच्छी आने की संभावना थी, मगर बिजली विभाग ने लगभग एक पखवाड़े पहले न केवल बिजली काटी है, बल्कि गांव को बिजली देने वाले टांसफार्मर को भी हटा दिया है।

यही हाल किसान जयराम और जानकी का है। वे बताते हैं कि इस गांव में 276 परिवार रहते हैं, उनमें से अधिकांश का जीवन खेती पर निर्भर है। यहां के लोगों ने सूखे से लड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, यही कारण है कि उनके खेत सूखे के दौर में हरे भरे रहे, उन्हें सूखा प्रभावित नहीं कर पाया। उन्हें अच्छी पैदावार आने की संभावना बनी थी, मगर बिजली विभाग ने बिल बकाया होने पर बिजली कनेक्शन काट दिए हैं। इतना ही नहीं, टांसफार्मर भी उठा लिया है।

उन्होंने बताया कि बिजली कट जाने से एक तरफ उनका गर्मी से बुरा हाल है, तो दूसरी और वे कुएं से सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं, जिससे अरबी, मिर्ची, टमाटर से लेकर पपीता के नष्ट होने का खतरा पैदा हो गया है।

मोहनगढ़ क्षेत्र के बिजली विभाग के अनुविभागीय अधिकारी (एसडीओ) पी.एन. यादव ने आईएएनएस से चर्चा करते हुए स्वीकार किया कि गांव पर तीन लाख रुपये का बिजली बिल बकाया है। लिहाजा, कनेक्शन काटने के बाद टांसफार्मर को हटा दिया गया है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने किसानों को विशेष रियायत दी है, उसके बाद भी ग्याजीतपुरा की हरिजन बस्ती के परिवार बिल जमा नहीं कर रहे हैं। इसलिए यह कदम उठाया गया है।

बुंदेलखंड पर दर्द नहीं समझते अफसर

जिले की जिलाधिकारी प्रियंका दास ने कहा कि यह बात सही है कि बकाया बिजली बिल की वसूली की जाना है, मगर सूखा के दौर में कनेक्शन नहीं काटे जाना चाहिए। वसूली तो बारिश आदि के मौसम में भी की जा सकती है। वे इस मामले को दिखवा रही हैं।

बुंदेलखंड दो राज्यों मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में फैला हुआ है। इस क्षेत्र में कुल 13 जिले आते हैं। मध्यप्रदेश के छह और उत्तर प्रदेश के सात जिले आते हैं। सभी जिलों की कमोबेश एक जैसी हालत है। सूखे की मार ने किसान से लेकर मजदूर तक की कमर तोड़ कर रख दी है। खेत सूखे हैं, तालाबों और कुओं में पानी नहीं है, इंसान को अनाज और जानवर को चारे के लिए जूझना पड़ रहा है।

संकट से जूझते इस इलाके के एक गांव के किसानों ने हालात से लड़कर किसानों ने अपनी जिंदगी को खुशहाल बनाया तो सरकार मशीनरी उसकी खुशियों छीनने पर तुल गई है।

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