केंद्र को लगा जोर का झटका धीरे से, पीएम मोदी सहित सभी बीजेपी नेता हैरान-परेशान

बीजेपी नेतानई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने राजनीतिक दलों को चुनावी रेवड़ियां बांटने से रोकने के लिए बाध्य करने की एक याचिका पर गुरुवार को निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा।

पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में हो रहे विधानसभा चुनाव में मतदाताओं को लुभाने के लिए कथित रूप से कई तरह की सुविधाओं के लुभावन प्रस्ताव देने का राजनीतिक दलों पर आरोप लग रहा है।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी.रोहिणी और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा की पीठ ने निर्वाचन आयोग से उन कदमों के बारे में पूछा जो सर्वोच्च न्यायालय द्वारा चुनावी रेवड़ियों के खिलाफ दिए गए निर्देशों के तहत उठाए गए हैं।

अदालत ने निर्वाचन आयोग के साथ केंद्र को भी नोटिस जारी किया है और मामले की सुनवाई की अगली तारीख 24 मई तक जवाब देने को कहा है।

अदालत ने यह नोटिस दिल्ली वासी अशोक शर्मा की जनहित याचिका पर जारी किया है। शर्मा ने आरोप लगाया है कि चुनावी घोषणापत्रों में रेवड़ियां बांटने से रोकने के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने निर्वाचन आयोग को दिशा-निर्देश बनाने का निर्देश दिया था लेकिन आयोग ने इस दिशा में कुछ नहीं किया।

शर्मा ने कहा है कि चुनाव घोषणापत्र को लेकर दिशा-निर्देश पर निर्वाचन आयोग की 2014 की अधिसूचना आंख में धूल झोंकने के समान है। आयोग अपना कर्तव्य नहीं निभा रहा है। याचिका में इस अधिसूचना को रद्द करने और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन को सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया है।

 

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