बिहार में सांप्रदायिक तनाव से बचने के लिए जारी हुआ अजीबोगरीब फरमान

बिहार में सांप्रदायिक तनावमधेपुरा: बिहार में सांप्रदायिक तनाव की स्थिति न उत्पन्न हो, इसके लिए एक अजीबोगरीब फरमान जारी किया है।

इस फरमान के अनुसार, मधेपुरा जिले में संचालित हो रहे सभी व्हाट्सएप और फेसबुक ग्रुप्स से जिला प्रशासन को जोड़ना अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसा नहीं करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।

मधेपुरा के जिलाधिकारी की तरफ से मंगलवार को जारी फरमान में कहा गया है, “मधेपुरा के सामान्य नागरिकों द्वारा बनाए जाने वाले व्हाट्सएप ग्रुप में मॉनिटरिंग कोषांग को मोबाइल नंबर से अनिवार्य रूप से जोड़ा जाएगा। वैसे व्हाट्सएप पर कड़ी कारवाई की जाएगी, जिसमें कोषांग का नंबर नहीं जोड़ा जाएगा।”

आदेश में सभी फेसबुक ग्रुप पर भी मधेपुरा मॉनिटर को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजकर उसे जोड़ने का फरमान दिया गया है। इसके लिए बजाप्ता एक कोषांग गठित किया गया है, जिसमें पदाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की गई है।

मधेपुरा के जिलाधिकारी मोहम्मद सोहैल ने बताया कि मधेपुरा जिला प्रशासन ने दशहरा और मुहर्रम के दौरान जिले के बिहारीगंज में हुए सांप्रदायिक तनाव के मद्देनजर यह निर्णय लिया है।

उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य सोशल साइट्स के जरिए अफवाह नहीं फैलाया जा सके, इसकी जांच के लिए मॉनिटरिंग सेल का भी गठन किया गया है।

जिलाधिकारी ने कहा कि पिछले दिनों बिहारीगंज में हुए तनाव के दौरान छापेमारी में कुछ मोबाइल जब्त किए गए थे। इन मोबइल फोनों की जांच में पाया गया कि यहां तनाव फैलाने के लिए फेसबुक और व्हाट्सएप का इस्तेमाल किया गया था।

मॉनिटरिंग सेल को कहा गया है कि वह सभी प्रकार के ग्रुप्स का अनुश्रवण कर प्राप्त सूचनाओं को लेखनबद्घ करे। साथ ही प्राप्त सूचनाओं के आधार पर दोषी पाए जाने पर भारतीय दंड संहिता एवं आईटी अधिनियम की धाराओं के तहत कार्रवाई करे।

इधर, बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मधेपुरा में कानून-व्यवस्था के नाम पर उठाए गए इस प्रशासनिक कदम की आलोचना की है। भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष संजय मयूख ने कहा कि प्रशासन संदिग्ध सोशल मीडिया ग्रुप्स की शिनाख्त करे, उन पर नजर रखे, लेकिन, कानून-व्यवस्था के नाम पर लोगों की निजता के अधिकार का हनन गैरकानूनी है।

सोशल मीडिया पर भी जिला प्रशासन के इस आदेश की जमकर आलोचना हो रही है।

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