नीतीश की शराबबंदी की खुली पोल, पहले दुकान जाना पड़ता था अब तो ‘होम डिलिवरी’

बिहार में शराबबंदीपटना। बिहार में शराबबंदी का दावा झूठा निकला है। नशाबंदी का सन्देश देने के लिए दुनिया की सबसे बड़ी मानव श्रृंखला बनाने वाले राज्य बिहार की सच्चाई तो कुछ और ही निकली। बिहार में शराब पूरी तरह बैन है इस बात का दावा भी पूरी तरह झूठा साबित हो गया है। क्योंकि शराब की बोतलें तो बिहार में अब भी धड़ल्ले से मिल रही हैं। इस बात का खुलासन राज्य के एक बड़े अधिकारी ने किया है। उन्होंने कहा कि ‘‘साहब सब जानते हैं लकिन अवैध शराब बिक्री का बना पैरेलल बिजनेस रोकना इनके वश की बात नहीं है। ज्यादा कड़ाई करेंगे तो इनकी सरकार धड़ाम से गिर जाएगी।”

बिहार में शराबबंदी का दावा झूठा

एक पियक्क्ड़ ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, ‘‘बंदी से पहले मेरे को दारू खरीदने दुकान पर जाना पड़ता था, अब तो दुकानदार फोन करने पर घर पर ही माल पहुंचा जाता है। अंतर यही है कि तब 500 रुपया में एक बोतल मिलता था अब उतने ही के लिए 1600 रुपए का खून करना पड़ता है। ये मजबूरी है, जो अपने लिए जरूरी है क्योंकि जीना है तो पीना है।’’

शराब के धंधे से लगभग 10 हजार करोड़ का टर्न ओवर होता है जिसका असली संरक्षक एक पुरनकठ विनोदी राजनेता है जो वर्तमान सिस्टम का एक अति महत्वपूर्ण कलपुर्जा हैं।’’ अब यह ओपेन सीक्रेट है कि एक पार्टी में बहुलता वाली एक सरकारी जाति के तमाम क्रिमिनल तथा रंगदार इस करकस कमाऊ धंधे में लगे हुए हैं।

अगर बिहार के सीएम नीतीश कुमार के महत्वाकांक्षी निर्णय शराबबंदी की पड़ताल की जाए तो पिछले तीन महीने से सीएम राज्य के प्रत्येक जिले का दौरा कर रहे हैं। उन्होंने 31 जनवरी तक राज्य के 36 जिलों का दौरा कर लिया था। पटना और वैशाली बाकी है। इस दौरा का नामकरण ‘‘निश्चय यात्रा’’ किया गया है।

इस दौरान सीएम ने अपने हर भाषण में थीम शराबबंदी के तहत लोगों को जागरूक किया। दावा किया गया कि राज्य में शराब की बिक्री एकदम बन्द हो चुकी है। लेकिन अब बिहार में शराब के शौकीनों को छुप-छुप के पीने में ही मजा आ रहा है।

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