बिहार: जांच के बाद ही कर सकेंगे प्रवेश इन गांवों में, ग्रामीणों ने संभाला मोर्चा…

कोरोना वायरस को लेकर हुए 21 दिनों के लॉकडाउन के बाद भी कुछ लोग ऐसे हैं जो इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. लेकिन कई ऐसे हैं जो इसे महामारी की तरह ही ले रहे हैं और सख्ती बरत रहे हैं. बिहार का ही नया मामला इस बात को साबित करता है. इस प्रदेश में दूसरे राज्यों से आने वाले लोग खतरा बन गए हैं. ये देखते हुए इन लोगों की गांव में ही अलग व्यवस्था की जा रही है. इस वक्त विदेशों से या दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों को ग्रामीण दहशत मान रहे हैं.

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बिहार के कई गांवों के रास्ते बंद कर दिए गए हैं. ऐसे अभियान चलाने में जनप्रतिनिधि भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. जनप्रतिनिधियों का कहना है कि लोग इसे गंभीरता से नहीं ले रहे. घर वाले भी ऐसे लोगों की सूचना छिपा रहे हैं.

 

मुजफ्फरपुर के औराई प्रखंड के ताराजीवर परमजीवर ग्राम पंचायत की मुखिया अमृता आनंद ने खुद अपने क्षेत्र को लॉकडाउन करने का बीड़ा उठाया है. उन्होंने कहा कि गांव में कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए प्रचार प्रसार किया जा रहा है. साबुन व सेनेटाइज की व्यवस्था की गई है. आनंद कहती हैं, ‘इस पंचायत में कुल छह गांव हैं और सभी गांवों में एक सरकारी भवन को चयनित कर क्वोरंटीन सेंटर बनाया गया है. इन गांवों में बाहर से आने वाले लोगों को गांव के सरकारी भवनों में तब तक रखा जा रहा है, जब तक उनकी जांच नहीं हो जा रही है. जो ज्यादा संदिग्ध पाए जा रहे हैं उन्हें एसकेएमसीएच भेज दिया जा रहा है, जबकि बाहर से आने वाले लोगों को एहतियातन इन भवनों में रखा गया है.’

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उन्होंने कहा कि जिन लोगों की जांच नेगेटिव आ रही है, उन्हें गांवों में प्रवेश दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि बाहर से आने वाले लोगों की सूचना चिकित्सा पदाधिकारी को दी जाती है, जिसके बाद वे आकर ऐसे लोगों के नमूने ले जाते हैं. इसी तरह, कटरा के यजुआर पश्चिमी के गांव के रास्ते को रोकर लोगों को जांच कराने के बाद ही गांव में आने देने की बात कही गई है. गांव में लोगों को जागरूक किया जा रहा है. इधर, औराई में बाहर से आने वाले लोगों को जांच कराने के लिए जागरूक किया जा रहा है.

 

मुजफ्फरपुर में संक्रमण की रोकथाम के लिए गठित कोषांग की रिपोर्ट के मुताबिक, अबतक विदेशों से करीब 250 और दूसरे राज्यों से आए 10 हजार लोगों को घर में अलग रहने की सलाह दी गई है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और जिला प्रशासन भी ऐसे लोगों पर निगाह रखे हुए हैं.

उल्लेखनीय है कि बिहार के अपर मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि अन्य राज्यों से लौट रहे बिहार के लोगों को गांव में प्रवेश पर उन पर कड़ी निगरानी रखी जाए और उन्हें गांव में ही अस्थायी आवासीय सुविधा उपलब्ध कराई जाए.

सभी अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि अन्य राज्यों से लौट रहे बिहारवासियों को उनके गांव में आगमन के समय ग्रामवासियों के द्वारा तुरंत घरों में रहने देने में संकोच किया जा रहा है. ऐसे मामलों में उन व्यक्तियों को कुछ दिनों के लिए (अस्थायी रहने के लिए) सरकारी विद्यालय भवनों, पंचायत भवनों और अन्य सरकारी भवनों में बंदोबस्त किया जाए.

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