कांग्रेस के लिए ‘सदमा’ बनी मोदी-शाह की जोड़ी, जड़ा वो पंच कि ढूंडे नहीं मिल रहा रास्ता

बाजी भाजपा के हाथ मेंनई दिल्ली। राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा और एनडीए ने मिलकर रामनाथ कोविंद को उमीदवार घोषित किया। इस नाम की घोषणा होते ही बाजी भाजपा के हाथ में जाती मानी जा रही है। अब विपक्ष भले ही कोविंद के समक्ष अपना बेहतरीन उमीदवार उतारने की तैयारी में हैं। लेकिन कई विपक्षी पार्टियां सभी कोशिशों को बेबुनियाद मान रही हैं। उनके मुताबिक़ विपक्ष ने भाजपा का मुकाबला करने के लिए रणनीति बनाने में बड़ी चूक कर दी है। इस कारण भाजपा को टक्कर दे पाना अब आसान नहीं होगा।

उम्मीदवार की दावेदारी तय करने के लिए बैठक के पहले यह चर्चा पुरजोर तरीके से चल रही है कि विपक्ष पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार को अपना उम्मीदवार बना सकता है।

मीरा कुमार भी रामनाथ कोविंद की तरह दलित हैं, बड़े कद की नेता हैं और जगजीवन राम की बेटी हैं। साथ ही लोकसभा स्पीकर रह चुकी हैं।

कई विपक्षी पार्टियों को लगता है कि अगर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बाकी विपक्षी पार्टियों से बातचीत कर एनडीए से पहले ही मीरा कुमार को उम्मीदवार घोषित कर दिया होता तो एनडीए के ऊपर दबाव बढ़ जाता।

ख़बरों के मुताबिक़ सोनिया गांधी से कुछ नेताओं ने इस बारे में चर्चा की थी। सोनिया गांधी मीरा कुमार को उम्मीदवार बनाए जाने के पक्ष में भी थीं। मगर उनका कहना था कि लेफ्ट और ममता बनर्जी गोपाल कृष्ण गांधी को विपक्ष का उम्मीदवार बनाने के पक्ष में हैं। इसीलिए मीरा कुमार के नाम पर फैसला नहीं हो सका। इसके बाद तय किया गया कि पहले एनडीए को ही अपना उम्मीदवार घोषित करने दिया जाए।

अब कई विपक्षी पार्टियों को लगता है कि रामनाथ कोविंद के मुकाबले मीरा कुमार को उतारकर भले ही दलित के खिलाफ दलित खड़ा कर दिया जाए, लेकिन दलित राजनीति का संदेश देने के हिसाब से एनडीए बाजी मार चुकी है।

संख्या बल के हिसाब से एनडीए के उम्मीदवार का जीतना तो पहले ही से तय है, मगर विपक्ष सांकेतिक तौर पर भी एनडीए से हार गया।

अब हालत यह है कि विपक्ष की बैठक से पहले ही उनके समर्थन में आने वाले दल रामनाथ कोविंद के नाम पर सहमत नजर आ रहे हैं।

वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रामनाथ को समर्थन देकर विपक्ष को पहले ही बड़ा झटका दे चुके हैं।

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