बांदा : मंदिर पर कब्जे को लेकर 3 बच्चों की हत्या

बांदाबांदा। उत्तर प्रदेश में बांदा जिले के तेंदुरा गांव के श्रीराम जानकी मंदिर में चार दिन पूर्व गैर हिंदू समुदाय के व्यक्ति द्वारा बाहरी को महंत घोषित कर कब्जा करने की यह पहली घटना नहीं है। दस साल पहले भी इसी समुदाय के व्यक्ति ने एक बाहरी को जबरन महंत घोषित कर मंदिर में कब्जा करने का असफल प्रयास किया था, लेकिन ग्रामीणों के विरोध की वजह से सफल नहीं हुआ। बदले में तीन मासूम बच्चों की हत्या कर दी गई।

बांदा जिले का मामला

दरअसल, इस गांव के मंदिर में साधु या व्यक्ति भगवान की चाहत में नहीं, बल्कि जायदाद की लालच में महंत बनने आते हैं। चार दिन पूर्व गैर हिंदू समुदाय के व्यक्ति द्वारा चित्रकूट के एक साधु को जबरन महंत घोषित कर कब्जा करने की घटना के दस साल पहले भी इसी समुदाय के एक पूर्व ग्राम प्रधान ने कुछ असलहाधारियों के साथ मंदिर पर धावा बोल दिया था।

उन दिनों महंत केशवदास के जीवित रहते एक अपराधी किस्म के व्यक्ति को ‘महंत’ घोषित कर मंदिर में कब्जा कर लिया गया था, लेकिन गांव के ग्रामीणों की एकजुटता की वजह से उनकी दाल नहीं गल पाई। अलबत्ता, अवैध कब्जा करने में नाकाम लोगों ने पांच साल से सात साल के तीन बच्चों की हत्या कर शव कुंए में फेंक दिया था।

गांव के धर्मराज सिंह फौजी ने बताया, “करीब चार सौ साल पुराने गांव के श्रीराम जानकी मंदिर में भगवान श्रीराम, मां जानकी और भगवान श्रीकृष्ण की अष्टधातु की भारी भरकम मूर्तियों के अलावा करीब डेढ़ सौ बीघा अरबों रुपये कीमत की कृषि भूमि लगी है। हर किसी की चाहत भगवान नहीं, बल्कि जायदाद है।”

उन्होंने साल 2005 में भी जायदाद के लालच पड़ोसी गांव चौसड़ के पूर्व प्रधान मो. शकील खां उर्फ चुन्नू राधा ने अपने दर्जन भर असलहाधारी साथियों के साथ मंदिर में धावा बोल कर महंत केशवदास के जीवित रहते हुए अपराधी किस्म के एक व्यक्ति भास्कर पांडेय को ‘महंत’ घोषित कर कब्जा जमा लिया था, तब गांव के पूर्व प्रधान धीरेंद्र सिंह की अगुआई में ग्रामीणों ने कब्जा धारकों को खदेड़ा था।”

गांव के पूर्व प्रधान धीरेंद्र सिंह ने बताया कि पिछली बार जब कब्जा करने असफल हो गए, तब उनके दो बेटे शिवम (5) और सत्यम (7) व चचेरे भाई रामचंद्र के बेटे राहुल (6) की 24 दिसंबर 2006 को हत्या कर शव कुंए में फेंक दिए थे। अब यह दूसरी बार कब्जा का प्रयास किया जा रहा है। बाहरी लोगों की निगाह अरबों रुपये की जमीन और करोड़ों रुपये की मूर्तियों पर टिकी है, जिस साधु को कथित तौर पर महंत घोषित किया गया है, उसकी आम सोहरत ठीक नहीं है।

इस मामले में अतर्रा के उपजिलाधिकारी ए.के. पुष्कर कहते हैं, “मामला संज्ञान में है, जांच कराई जा रही है। विधिक राय लेकर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।” सबसे बड़ा सवाल यह है कि पूर्व की इतनी बड़ी घटना से प्रशासन ने सबक नहीं सीखा और ग्रामीणों की लगातार शिकायत के बाद भी तहसील मुख्यालय से 15 किलोमीटर की दूरी पर बसे इस गांव में जाने की जरूरत नहीं समझी गई।

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