बलिया में लगा अनोखा मेला, धोबी समाज के लोग करते हैं अपनी बेटियों की शादी

रिपोर्ट:- मनोज चतुर्वेदी/बलिया

महंगाई की मार झेल रहे पाकिस्तान में ही सिर्फ गधों की अहमियत नहीं है बल्कि हिंदुस्तान में भी गधे काफी अहमियत रखते हैं। बात बलिया के ददरी मेला कि, की जाए तो यहाँ लगने वाले पशु मेले में गधों का मेला आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। गधा मेला में महज गदहों का व्यापार नहीं होता है. साथ ही धोबी समाज के लोग बेटे बेटियों की शादी भी तय करते हैं जिसके जरिए व्यापार के साथ-साथ सामाजिक बंधन भी मजबूत होता है।

बलिया में लगा मेला

ऐतिहासिक ददरी मेले में पशु मेला खासी अहमियत रखता है ऐसे में पशु मेले में आने वाले गधे और खच्चर व्यापार को एक नया आयाम देते हैं। गधा मेला के दौरान बड़ी संख्या में अलग-अलग नस्ल के गधे और खच्चर आते हैं। गधा मेला की सबसे खास बात यह है कि व्यापार के साथ-साथ धोबी समाज के लोग अपने बेटे बेटियों की शादी भी यहीं से तय करते हैं।

दरसल यह परंपरा सदियों पुरानी है। जब दूरदराज रहने वाले धोबी समाज के लोग एक दूसरे से नहीं मिल पाते है लेकिन ददरी मेला में लगने वाले पशु मेले के जरिए धोबी समाज के लोग दूरदराज के अपने रिश्तेदारों और जान पहचान के व्यापारियों से मिलकर वर-वधू की शादी तय करते हैं और यही कार्ड भी आपस में एक दूसरे को वितरण कर देते हैं।

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बलिया का ददरी मेला अपने ऐतिहासिक और व्यापारिक इतिहास के लिए जाना जाता है ₹, ऐसे में गधा मेला उन लोगों के लिए एक बड़े स्तर पर होता है जिनके लिए अच्छी नस्ल के गधे और खच्चर आसानी से मिल जाते हैं. गधा मेला में हजारों से लेकर लाखों रुपए तक के गधे और खच्चर बिकते हैं.

जिससे व्यापारी बड़ा मुनाफा कमाते हैं और इन मुनाफा के जरिए ही आपस में रिश्ता तय कर बेटे बेटियों की शादी भी तय करते हैं। धोबी समाज के लोगों का कहना है कि उनका समाज बहुत गरीब और निचले तबके के लोग हैं। लिहाजा इस तरीके के मेले से व्यापार तक ही नहीं सामाजिक बंधनों को भी मजबूत करते हैं।

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