बदलते मौसम के साथ बदलो टेस्ट, बथुआ दिलाएगा इन 6 बीमारियों से छुटकारा

बथुआनई दिल्ली। ठंडियों के मौसम में आने वाला बथुआ काफी लाभकारी होता है। बथुआ को कई चीजों में मिला के खाया जाता हैं जैसे कि बथुआ का पराठा, सब्जी, कढ़ी, रायता आदी। दरअसल बथुआ में लोहा, पारा, सोना और क्षार पाया जाता है।

बथुआ का साग प्रतिदिन खाने से गुर्दों में पथरी नहीं होती। बथुआ आमाशय को बलवान बनाता है, गर्मी से बढ़े हुए यकृत को ठीक करता है।

बथुआ के साग का ज्यादा सेवन करने से आपका शरीर निरोग रहेगा। लेकिन ध्यान रहें कि बथुए का सेवन कम से कम मसाले डालकर करें। बथुए के साग में जितना कम नमक मिलाएं उतना ज्यादा अच्छा होगा और यदि स्वाद के लिए आपको मिलाना पड़े तो सेंधा नमक मिलाएं और भैंस के घी से छौंक लगाएं।

कब्ज : बथुआ कब्ज को दूर करता है, इसी के साथ बथुए की सब्जी दस्तावर होती है, कब्ज वालों को बथुए की सब्जी नित्य खाना चाहिए।

पेट के रोग : जब तक मौसम में बथुए का साग मिलता रहे, नित्य इसकी सब्जी खाएं। बथुए का रस, उबाला हुआ पानी पीएं, इससे पेट के हर प्रकार के रोग यकृत, तिल्ली, अजीर्ण, गैस, कृमि, दर्द, अर्श पथरी ठीक हो जाते हैं।

पथरी: जिस भी व्यक्ति को पथरी हो तो उन्हें एक गिलास कच्चे बथुए के रस में शकर मिलाकर नित्य सेवन करना चाहिए। ऐसा करने से पथरी टूटकर बाहर निकल आएगी।

सफेद दाग: जिनको सफेद दाग, दाद, खुजली, फोड़े आदि चर्म रोग जैसी समस्या हो उन्हें नित्य बथुआ उबालकर, निचोड़कर इसका रस पीना चाहिए तथा सब्जी खाना चाहिए। बथुए के उबले हुए पानी से चर्म को धोएं। बथुए के कच्चे पत्ते पीसकर निचोड़कर रस निकाल लें। दो कप रस में आधा कप तिल का तेल मिलाकर मंद-मंद आग पर गर्म करें। जब रस जलकर पानी ही रह जाए तो छानकर शीशी में भर लें तथा चर्म रोगों पर नित्य लगाएं। लंबे समय तक लगाते रहें, लाभ होगा।

मासिक धर्म: मासिक धर्म रुका हुआ हो तो दो चम्मच बथुए के बीज एक गिलास पानी में उबालें। आधा रहने पर छानकर पी जाएं। मासिक धर्म खुलकर साफ आएगा।

जुएं:  बथुए के पानी से सिर धोने से जुएं, लीखें मर जाएँगी तथा बाल साफ हो जाएंगे।

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