केंद्र के इन फैसलों से विपक्ष चारो खाने चित, लफ्ज नहीं सिर्फ सिसकियां आईं बाहर
नई दिल्ली। तमाम राजनीतिक दल द्वारा पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर बजट की तारीख को आगे करने की मांग को खारिज करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज 2017-18 का केंद्रीय बजट पेश किया।
इन दलों का मानना था कि बजट में सरकार द्वारा की गई घोषणाओं का असर पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा। एक फरवरी को बजट पर रोक लगाने की मांग सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची लेकिन कोर्ट ने भी इसपर रोक लगाने से इनकार कर दिया। जानिएं ऐसी कुछ खास बजट घोषणाओं पर जो आगामी विधानसभा चुनावों को प्रभावित कर सकती हैं।
मुस्लिम वोटरों को पक्ष में लाने की कोशिश
उत्तर प्रदेश में मुस्लिम आबादी सबसे ज्यादा है। हालांकि भाजपा ने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को उत्तर प्रदेश में टिकट नहीं दिया है। बावजूद इसके अल्पसंख्यक कल्याण की योजना के बजट में इजाफा करते हुए इसे 4,195 करोड़ रुपये किया गया है। वहीं अनुसूचित जनजाति के लिए भी आवंटित बजट को बढ़ाकर 31,920 करोड़ रुपये कर दिया गया है। लेकिन सरकार इन क्षेत्रों में खर्च की जाने वाली धनराशि की निगरानी की व्यवस्था शुरू करेगी।
दलितों को साधने का प्रयास
भारतीय जनता पार्टी का दलित प्रेम सत्ता में आने के बाद से जागा हुआ है। बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को केंद्र में रखकर भाजपा अनुसूचित जाति के लोगों पर डोरे डालने की कोशिश कर रही है। हाल में डिजिटल ट्रांजेक्शन के लिए लाया गया भीम ऐप भी इसी का उदाहरण है। पंजाब और उत्तर प्रदेश दो ऐसे राज्य हैं। जहां दलितों की आबादी सबसे अधिक है। उत्तर प्रदेश में दलित संख्या के मामले में देश में सबसे ज्यादा है वहीं पंजाब में दलितों की आबादी प्रतिशत के आधार पर सबसे अधिक है। इस बात को ध्यान में रखते हुए बजट में अनुसूचित जातियों के लिए बजट में बड़ा इजाफा किया है। 2016-17 में यह राशि 38,833 करोड़ रुपये थी जिसे 2017-18 में बढ़ाकर 52,393 करोड़ रुपये कर दिया गया है। यह बजट अनुमान 2016-17 की तुलना में करीब 35 फीसदी अधिक है।
महिलाओं के लिए लुभावनी योजना
महिलाओं वोटरों को अपनी ओर लाने के लिए वित्त मंत्री ने गर्भवती महिलाओं के खाते में सीधे छह हजार रुपये देने की घोषणा की है। अस्पतालों में बच्चे को जन्म देने और बच्चे का पूर्ण टीकाकरण कराने वाली गर्भवती महिलाओं के बैंक खातों में देशभर में कुल मिलाकर करीब 6,000 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए जाने का प्रस्ताव रखा गया है।
मध्यम वर्ग को रिझानें की कोशिश
आयकर 5 लाख की आय पर कर की दर को 10 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया है। इससे मध्यम वर्ग को सीधे तौर पर फायदा पहुंचेगा। सरकार भले ही इससे टैक्स देने वालों की संख्या में इजाफा करने वाला कदम बता रही है लेकिन इस कदम से वित्त मंत्री ने मध्यम वर्ग के वोटर को अपनी तरफ वापस लाने की कोशिश की है। नोटबंदी में मध्यम वर्ग ने ही सरकार का खुले तौर पर समर्थन किया था। इसे सरकार की ओर से उनके लिए तोहफा भी कहा जा सकता है।
व्यापारी वर्ग का विशेष ख्याल
सरकार के नोटबंदी के निर्णय से व्यापारी वर्ग सीधे तौर पर प्रभावित हुआ था। माना जा रहा था कि व्यापारी वर्ग पार्टी से दूर छिटक जाएगा लेकिन वित्त मंत्री ने बजट में 50 करोड़ तक के टर्न ओवर वाले लघु और मध्यम उद्योंगों के लिए टैक्स को 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत करने की घोषणा की है।