बूढ़ों के साथ-साथ आजकल बच्चें भी ब्लड प्रेशर के शिकार, जानें कारण और उपचार

कई बार शिशुओं में जन्म के बाद लो ब्लड प्रेशर (निम्न रक्तचाप) की समस्या पाई जाती है। ऐसे ज्यादातर मामले उन बच्चों में पाए जाते हैं, जिनका जन्म समय से पूर्व (आमतौर पर 32 सप्ताह से पहले) होता है। लो ब्लड प्रेशर शिशुओं के लिए खतरनाक हो सकता है और कई बार जानलेवा भी साबित हो सकता है। इसलिए इसके कारणों और लक्षणों को जानना बहुत जरूरी है। आइए आपको बताते हैं क्या हैं इनके लक्षण और कारण।

बच्चें भी ब्लड प्रेशर
शिशु में लो ब्लड प्रेशर के लक्षण
आमतौर पर अगर शिशु का जन्म अस्पताल में हुआ है, तो चिकित्सक स्वयं जन्म के बाद शिशु के शरीर की पूरी तरह जांच करते हैं, जिसमें लो ब्लड प्रेशर की समस्या सामने आ जाती है। अन्यथा इन लक्षणों से भी आप शिशु में निम्न रक्तचाप का पता लगा सकते हैं।

शिशु का बहुत तेजी-तेजी सांस लेना।
शिशु के हाथ, पांव, बाहों और तलवों का ठंडा होना।
शिशु के दिल की धड़कन का बहुत तेज होना।
शिशु के त्वचा का रंग पीला या सामान्य से अलग होना।
शिशु को बहुत कम पेशाब होना या बिल्कुल पेशान न होना।

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किन कारणों से शिशु में होता है लो ब्लड प्रेशर
जन्म होने के बाद यदि शिशु का ब्लड प्रेशर सामान्य से कम है, तो इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे-

प्रसव के पहले ओर बाद में अत्यधिक रक्त का बहना।
किसी तरह के इंफेक्शन के कारण।
मां को प्रसव से पहले दी गई दवाईयों के कारण।
प्रसव के बाद तरल पदार्थ का बहुत अधिक बहना।
अचानक नवजात के माहौल में आया परिवर्तन भी इसका मुख्य कारण है।
एड्रिनल ग्लैंड द्वारा पर्याप्त कार्टिसोल न बना पाने के कारण होती है ब्लड प्रेशर की समस्या।
नवजात का कमजोर होना या फिर नवजात शिशु में अधिक कमजोरी का होना।
हालांकि कई बार यह पता लगाना बहुत मुश्किल होता है कि नवजात में निम्न रक्तचाप क्यों हैं। कई बार नवजात में होने वाली श्वसन संबंधी समस्याओं के कारण भी निम्न रक्तचाप की समस्या देखने को मिल जाती है।
ब्लड इंफेक्शन (सेप्सिस) के कारण भी हो सकता है शिशु में लो ब्लड प्रेशर।

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क्या है शिशु में लो ब्लड प्रेशर का उपचार
नवजात शिशु को इंजेक्शन द्वारा अतिरिक्त तरल पदार्थ या एल्बुमिन दिया जाता है।
कई बार नवजात में रक्त की कमी के कारण भी निम्न रक्तचाप की समस्या होने लगती हैं, ऐसे में नवजात को रक्त भी चढ़ाया जाता है जिससे नवजात जल्दी ही सामान्‍य हो जाए।
नवजात बच्चों में रक्तचाप बढ़ाने के लिए मशीनों में और ऐसे माहौल में रखा जाता है जिससे नवजात का रक्तचाप सामान्य हो जाए।
नवजात को निम्न रक्तचाप से बचाने के लिए डॉक्टर्स की देखरेख में ही रखना चाहिए, जिससे नवजात किसी ही होने वाले अन्य संक्रमण और बीमारी से बच सकें।

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