फोरेंसिक जांच संबंधी अध्यादेश आया तो करूंगा विचार : राम नाईक

फॉरेंसिंक जांचलखनऊ: यूपी के राज्यपाल राम नाईक ने शुक्रवार को कहा कि फोरेंसिक जांच द्वारा अपराध पर वैज्ञानिक तरीके से नियंत्रण किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि विषय की तात्कालिकता को देखते हुए यदि इस पर कोई अध्यादेश या विधेयक सरकार की ओर से आएगा तो वह उस पर अवश्य विचार करेंगे।

राज्यपाल ने राजधानी में गोमती नगर स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित दो दिवसीय इंटरनेशनल कान्फ्रेंस ऑन इंडियन कांग्रेस ऑफ फॉरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी का उद्घाटन करने के बाद यह बातें कहीं।

राज्यपाल ने कहा कि यह प्रसन्नता की बात है कि राज्य सरकार फॉरेंसिक विषय को लेकर विश्वविद्यालय स्थापित करने पर विचार कर रही है।

नाईक ने कहा, “फोरेंसिक जांच के द्वारा अपराध पर वैज्ञानिक तरीके से नियंत्रण किया जा सकता है। महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराध कैसे कम हों, इस पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।”

नाईक ने कहा कि फोरेंसिक जांच में पुलिस एवं मेडिकल रिपोर्ट की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ऐसे में व्यापक अवस्थापना की आवश्यकता है। संकोच के कारण महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध का प्रतिशत थाने तक बहुत कम पहुँचता है।

उन्होंने कहा कि यह एक गंभीर मनोवैज्ञानिक विषय है। महिलाओं एवं बच्चों के प्रति होने वाले अपराध निसंकोच दर्ज हो, इसके लिए महिला अधिकारियों का उपलब्ध होना जरूरी है। सरकार इस क्षेत्र में अनेक प्रभावी कदम उठा रही है। अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि सरकार की मंशा और जनहित के अनुसार काम करें।

प्रमुख सचिव (महिला कल्याण एवं बाल विकास) रेणुका कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि महिलाओं एवं बच्चों के प्रति होने वाले अपराध को रोकने के लिए संयुक्त प्रयास की आवश्यकता है। अपराधी को सजा दिलाने में पुलिस एवं चिकित्सा रिपोर्ट की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा महिला सम्मान प्रकोष्ठ की स्थापना की गई है, जिसके माध्यम से पीड़ितों को मुआवजा भी उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने महिलाओं एवं बच्चों के प्रति अपराध रोकने के अन्य प्रयास पर भी प्रकाश डाला।

सचिव (गृह) कमल सक्सेना ने कहा कि महिलाएं एवं बच्चे अपने अधिकार से अनभिज्ञ हैं। इस दृष्टि से यह संगोष्ठी अत्यंत महत्वपूर्ण है। महिलाएं इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। महिलाएं, पुलिस, गृह, विधि विज्ञान, एनजीओ एवं मीडिया के संयुक्त प्रयास से इस क्षेत्र में बहुत कुछ किया जा सकता है।

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