जानें फिश पेडीक्योर करवाते हुए किन बातों का रखें ध्‍यान और क्‍या बरतें सावधानियां  

अभी कुछ सालों से फिश पेडीक्योर काफी चलन में है। फिश पेडीक्योर एक ऐसी थेरेपी है, जिसमें हम अपने पैरों को मछलियों के एक टब या जार मे डालते है और इसमें मौजूद छोटी-छोटी मछलियां पैरों के डेड स्किन को खा जाती है। फिश पेडीक्योर करवाने से हमारे पैरों की स्किन मुलायम होती है।
साथ ही, इससे ना सिर्फ पैर मुलायम होते हैं बल्कि यह पैरों के दर्द से भी छुटकारा दिलाने में मददगार होता है। फिश पेडीक्योर करवाने में अपने पैरों को छोटी-छोटी मछलियों से भरी हुई टैंक में डालकर अपने पैरों की मृत कोशिकाओं को निकलवाना में मजा भी बहुत आता है। साथ ही, ऐसा माना जाता है कि एक्जिमा और सोरायसिस की बीमारी में फिश पेडीक्योर काफी लाभकारी होता है।

आजकल ज्‍यादातर मॉल में फिश पेडीक्योर की सुविधा होती है और यह बहुत ज्यादा मंहगा भी नहीं होता है। मॉल्स में कई बार एक ही टैंक में कई लोग अपने पैरों को डालकर पेडीक्योर करवाते रहते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जिस टैंक में आप कई लोगों के साथ पैर डालकर बैठी हैं वो कितना साफ सुथरा है। क्‍या आपने ये जानने की कोशिश की है कि आपके साथ जो इंसान टब में पैर डालें हुए है उसे कहीं कोई स्किन से जुड़ी कोई बीमारी तो नहीं है।

अगर फिश पेडीक्योर या स्पा की बात करें तो यह तभी सुरक्षित हो सकते हैं जब वहां पर काफी हद तक साफ-सफाई का ख्‍याल रखा जाए। फिश पेडीक्योर के लिए इस्तेमाल होने वाली गारा रूफा मछलियां पैरों कि डेड स्किन को खा जाती है जिसके कारण हमारे पैर सुंदर और ग्‍लोइंग दिखते हैं। यह मछलियां पैरों की डेड स्किन को निकालने के साथ-साथ हमारे रक्तप्रवाह को भी बढ़ा देती है और हमारे शरीर के एक्यूप्रेशर पॉइंट्स को भी उत्तेजित करती है जिससे इसका असर तुरंत दिखाई देने लगता है।

लेकिन फिश पेडीक्योर करवाते हुए हमें कुछ बातों का ध्‍यान रखना चाहिए नहीं तो हमें भारी नुकसान हो सकता है। आइए जानें फिश पेडीक्योर करवाते हुए किन बातों का ध्‍यान रखना चाहिए और क्‍या सावधानियां बरतें।

फिश पेडीक्योर करवाने वाले स्पा सेंटर टब के पानी को कई दिनों तक नहीं बदलते जिसकी वजह से आपको इंफेक्शन हो सकता है। ऐसे में फिश पेडीक्योर करवाते हुए इस बात का ध्‍यान रखें कि पानी दूषित न हो और टैंक का पानी रोज बदला गया हो और पानी साफ हो। अगर हर एक सेशन के बाद उस टैंक का पानी बदला नहीं जाता है तो संक्रमण होने का खतरा बना रहता है।

अगर आपके पैरों में चोट लगी हो या पैर कहीं से कटा हुआ हो तो फिश पेडीक्योर न करवाएं क्‍योंकि ऐसे में फिश पेडीक्योर करवाने से खून बहने लगता है। यह खून, स्पा टब में चला जाता है और इससे इंफेक्शन फैलने का डर रहता है। हो सकता है आपके लगे खून से दूसरे किसी व्‍यक्ति को इंफेक्शन हो जाए।

  • अगर फिश पेडीक्योर करवाते समय पैरों से खून निकलने लगे तो पैरों को तुरंत पानी से बाहर निकालें और उसे डेटॉल या एंटीसेप्टिक दवाई से साफ करें।
  • अगर आपको पहले से ही कोई शारीरिक समस्‍या है या चोट लगी है तो ऐसे में फिश पेडीक्योर न करवाएं।
  • अगर आप कमजोर इम्युनिटी और डायबिटीज के मरीज हैं तो आप फिश पेडीक्योर कभी न करवाएं।
  • फिश पेडीक्योर करवा रहे लोगों में से अगर किसी व्यक्ति को एड्स या कोई संक्रमण से फैलने वाला रोग है तो वह दूसरे व्यक्ति को भी हो सकता है।
  • इस बात की भी संभावना होती है कि टैंक में उपस्थित माइक्रोबैक्टीरिया के कारण आपको इन्फेक्शन हो जाए।

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