प्रेरक-प्रसंग : संत और शिष्य

प्रेरक-प्रसंगएक संत सुबह अपने शिष्यों के बीच बैठकर प्रभु से प्रार्थना कर रहे थे। उन्होंने सबसे पहले पूरी मानव जाति के कल्याण के लिए प्रार्थना की। उसके बाद उन्होंने हाथ जोड़कर कहा, ‘हे परम पिता, आप दुष्कर्म करने वालों को सदबुद्धि प्रदार करें। उनको सही रास्ता दिखाएं, ताकि वे दुष्कर्म करना छोड़ दें। प्रभु, उन भटके हुए लोगों पर विशेष रूप से दया करें।’

पास बैठे एक शिष्य ने आश्चर्यचकित होकर पूछ लिया, संत तो अच्छे लोगों के कल्याण के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं। आज पहली बार मैंने आपको दुष्टजनों के कल्याण के लिए प्रार्थना करते देखा है। गुरुदेव, ‘इस प्रार्थना का क्या मतलब?’

संत मुस्कुराए और बोले, ‘सत्कर्म करने वाले अच्छे लोग तो स्वतः भगवान की दया और स्नेह के अधिकारी बन जाते हैं। अच्छे लोग अच्छे कर्म करके ओरों को भी अच्छा बनाते रहते हैं। प्रार्थना तो बुरे लोगों को सदबुद्धि प्रदान करने के लिए करनी चाहिए, जिससे वे दुष्कर्म त्यागकर सत्कर्मों में लग जाएं।’ इस तरह भक्त की जिज्ञासा का समाधान हो गया

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