प्रेरक-प्रसंग : राजा की चतुराई

प्रेरक-प्रसंगवजीर के अवकाश लेने के बाद बादशाह ने वजीर के रिक्त पद पर नियुक्ति के लिए उम्मीदवार बुलवाए। कठिन परीक्षा से गुज़र कर तीन उम्मीदवार योग्य पाए गए।
तीनों उम्मीदवारों से बादशाह ने एक-एक कर एक ही सवाल किया, ‘मान लो मेरी और तुम्हारी दाढ़ी में एकसाथ आग लग जाए तो तुम क्या करोगे?’

‘जहाँपनाह, पहले मैं आप की दाढ़ी की आग बुझाऊँगा,’ पहले ने उत्तर दिया।

दूसरा बोला, ‘जहाँपनाह पहले मैं अपनी दाढ़ी की आग बुझाऊँगा।’

तीसरे उम्मीदवार ने सहज भाव से कहा, ‘जहाँपनाह, मैं एक हाथ से आपकी दाढ़ी की आग बुझाऊँगा और दूसरे हाथ से अपनी दाढ़ी की।’

 इस पर बादशाह ने फ़रमाया, ‘अपनी ज़रूरत नज़रंदाज़ करने वाला नादान है। सिर्फ़ अपनी भलाई चाहने वाला स्वार्थी है। जो व्यक्तिगत जिम्मेदारी निभाते हुए दूसरे की भलाई करता है। यही बुद्धिमान है।’

इस तरह बादशाह ने वजीर के पद पर तीसरे उम्मीदवार की नियुक्ति कर दी।

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