मुसलमानों के बाद हिन्दुओं के लिए आफत बना ये अल्पसंख्यक तबका, पीएम मोदी को दी चुनौती!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीशिलांग| दो सांसदों विंसेंट एच.पाला तथा कोनराड के.संगमा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से अपील की है कि वे भारत में ईसाई मिशनरियों के वीजा की अवधि बढ़ाने में मदद करें। पूर्व केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री पाला ने मंगलवार को मोदी से अपील की कि वह मामले में व्यक्तिगत तौर पर हस्तक्षेप करें, जिसे उन्होंने भारत में इसाईयों का ‘उत्पीड़न’ करार दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की मांग

कांग्रेस सांसद ने प्रधानमंत्री से यह भी अपील की कि वह ईसाई मिशनरियों को भारत में ठहरने तथा गरीबों के बीच सामाजिक व शैक्षणिक सेवाएं प्रदान करने का काम बरकरार रखने में उनकी मदद करें।

पाला ने अपने पत्र में कहा, “मैं देश में ईसाइयों के खिलाफ घृणा तथा हिंसा की बढ़ रही घटनाओं के प्रति ध्यान आकर्षित कर रहा हूं, जबकि ईसाई समुदाय के लोग शांति व सौहार्द से रहने वाले हैं तथा राष्ट्र निर्माण में योगदान कर रहे हैं।”

उन्होंने कहा, “ईसाइयों के खिलाफ जारी भेदभाव के तहत भारत में लंबे समय से रह रहे दूसरे देशों के लोगों को धमकाया जा रहा है और उन्हें देश छोड़ने को कहा जा रहा है, जबकि उन्होंने शिक्षा तथा सामाजिक कार्यो में भारी योगदान दिया है, खासकर वंचित तबकों के क्षेत्रों में काम करके।”

लोकसभा में नेशनल पीपुल्स पार्टी के एकमात्र सदस्य संगमा ने राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर मिशनरियों को वीजा मिलने में आ रही दिक्कतों के मुद्दे पर हस्तक्षेप करने की मांग की।

संगमा ने पत्र में कहा, “ऐसी कई घटनाएं हैं, जिनमें मिशनरियों को वीजा का विस्तार मिलने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है। जबकि ये मिशनरी हमारे देश के गरीबों व जरूरतमंदों के बीच बिना रुके काम करते रहे हैं।”

अपने पत्रों में पाला तथा संगमा ने विभिन्न राज्यों में कार्यरत चार प्रमुख मिशनरियों इग्नासियो गाल्दोस जुआजुआ (गुजरात), लॉरेल जूडिथ सिएटन (बिहार), ऑरेल एंद्रे ए.ब्रिस तथा चेन चिन मो (दोनों झारखंड) का जिक्र किया।

भारत की केवल दो फीसदी आबादी ईसाई है।

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