आज मनाया जा रहा है प्रदोष व्रत, जानें व्रत और पूजा का महत्व

वर्तमान सप्ताह का शुभारंभ भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि और पद्मा एकादशी के साथ हो रहा है। वर्तमान शुक्ल पक्ष इसी हफ्ते की 14 तारीख यानी भाद्रपद की पूर्णिमा वाले दिन समाप्त हो जाएगा और उसके अगले ही दिन यानी रविवार 15 सितम्बर से आश्विन का कृष्ण पक्ष आरंभ हो जाएगा। इस सप्ताह के अंत में यानी 14 सितम्बर को श्राद्ध पक्ष आरंभ हो रहा है।

प्रदोष व्रत

भाद्रपद के शुक्लपक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी या पद्मा एकादशी के नाम से जाना जाता है। परिवर्तन यानी बदलाव। आषाण मास की देवशयनी के दिन से चार महीने के लिए भगवान विष्णु क्षीर सागर में शयन करते हैं और इस दिन यानी भाद्रपद मास की शुक्ल एकादशी के दिन वे सोते सोते करवट बदलते हैं अर्थात शयन मुद्रा में परिवर्तन करते हैं, इसीलिए इसे परिवर्तना एकादशी के नाम से जाना जाता है।

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माना जाता है कि जब भगवान करवट बदलते हैं उस समय भक्त को जागृत अवस्था में रहना चाहिए, इसी अभिप्राय से इस दिन रात्रि जागरण किया जाता है, ताकि भगवान की कृपा बनी रहे। इस दिन एकादशी का व्रत रखते हुए भगवान नारायण की विशेष पूजा और अर्चना करनी चाहिए।

 

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