कितना भी अच्छा हो सोने का गहना, यहाँ पड़ ही जाता है काला

प्रदूषणगंगानगर (मेरठ)| प्रदूषण की समस्या से पूरा विश्व परेशान है और प्रदूषण के अनेक प्रकार के दुष्प्रभाव हमारे सामने आ रहे है जिसमें से कुछ प्रभाव बहुत ही अनोखें और अजीब भी हैं। ऐसा ही मामला यूपी के मेरठ शहर में सामने आया है जहाँ प्रदूषण इतना अधिक बढ़ गया है की वहां की महिलायें आपने जेवर पहने से बच रही है क्योंकि प्रदूषण की वजह से स्त्रियों के गहनें काले पड़ रहे हैं।

प्रदूषण महिलाओं को जेवर भी नही पहने दे रहा है

शुरू-शुरू में महिलाओं को समझ में नहीं आता था कि गले की जंजीर एवं कान की बाली इतनी जल्दी रंग कैसे बदल रही है? नकली का शक भी होता था। कई बार ज्वैलरों से झगड़े भी हुए। पंखे,शील्ड तक बदल रहे रंग धीरे-धीरे नालों के किनारे रहने वाली कालोनियों में यह समानता नजर आने लगी। कालोनी के एसी, पंखे, कूलर एवं स्कूली बच्चों की शील्ड तक रंग बदलती नजर आई। पंखा, फ्रिज, कूलर, टीवी एवं एसी की उम्र बमुश्किल छह माह होती है। सोना, चांदी, तांबा व पीतल आदि लगभग सभी धातुएं छह माह में काली पड़ रही हैं। रिटार्यड फौजी बिजेन्द्र ¨सह सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के सामने रहते हैं। वह अपने द्वारा जीती गई चार ट्राफी दिखाते हैं जो बिल्कुल काली स्याह पड़ चुकी है। विशेषज्ञों की टीम ने दौरा किया तो साफ हुआ कि यह नाले की वजह से हो रहा है। औद्योगिक इकाइयां कसेरूखेड़ा नाले में खतरनाक रसायन झोंक रही हैं, जिसकी वजह से रासायनिक रिएक्शन से तमाम गैस बनती हैं। अम्लीय प्रकृति की गैस संपर्क में आने वाले बर्तन, धातुओं और लोहे को चंद दिनों में काला बना देते हैं। लंबे समय तक संपर्क में रहने की वजह से धातुएं गलने लगती हैं। विशेषज्ञ इसकी वजह नालों से निकलने वाली हाइड्रोजन सल्फाइड गैस को मानते हैं। डॉ आरके सोनी, रसायन विज्ञान, सीसीएसयू ने बताया की गंदे नालों से निकलने वाली प्रमुख गैसों में हाइड्रोजन सल्फाइड और मीथेन होती हैं। हाइड्रोजन सल्फाइड धातुओं से रिएक्शन करके काले धब्बे बना देती हैं। इसी गैस की वजह से बहुत तेज बदबू आती है। नाले के बहुत करीब रहने वाले लोगों में गहने काले पड़ने की शिकायत ज्यादा होती है।

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