प्रकृति के किसी उपहार से कम नहीं अरुणाचल प्रदेश का ये शहर !!

अरुणाचल प्रदेश का चांगलांग प्राकृतिक सौंदर्य, विविधतापूर्ण संस्कृति, अनूठी परंपराओं और सुरम्य पहाडियों के लिए जाना जाता है. सुंदर घाटियों के बीच और ऊंचे पहाड़ों से घिरे चांगलांग की ऊंचाई 200 मीटर से 4500 मीटर है. चांगलांग मानव जाति के लिए प्रकृति के किसी उपहार से कम नहीं है.चांगलांग की लंबी पर्वत श्रृंखलाओं की गोद में पर्यटक ताजगी और सुकून महसूस करते हैं.
changlang
हवाई मार्ग द्वारा: चांगलांग का निकटतम हवाई अड्डा असम के डिब्रूगढ़ में स्थित मोहनबाड़ी है जो शहर से लगभग 182 किमी की दूरी पर है. हवाई अड्डे से चांगलांग के लिए नियमित कैब सेवाएं उपलब्ध हैं.

रेल मार्ग द्वारा: चांगलांग का निकटतम रेलवे स्टेशन असम के तिनसुकिया में स्थित है जो शहर से लगभग 141 किमी की दूरी पर स्थित है और देश के अन्य हिस्सों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. सड़क मार्ग द्वारा: चांगलांग बस स्टेशन देश के सभी प्रमुख हिस्सों से रोडवेज के माध्यम से जुड़ा हुआ है.
समय बदलने के साथ चुनावी राह के लिए इस तरह कोशिश में लगे हैं डकैतों के परिजन
चांगलांग आने का सही समय चांगलांग में पूरे साल सुखद जलवायु रहती है. हालांकि, नवंबर से फरवरी के सर्दियों के महीने में यहां का 12 डिग्री सेल्सियस से 28 डिग्री सेल्सियस तक रहता है.

चांगलांग के दर्शनीय स्‍थल

द्वितीय विश्‍व युद्ध

world war 2

प्राचीन प्राकृतिक सौंदर्य और जीवंत संस्कृति से समृद्ध चंगलांग ऐतिहासिक युद्धों का गवाह रह चुका है. द्वितीय विश्व युद्ध में मारे गए सैनिकों के लिए यहां कब्रिस्तान बना है जिसे जयरामपुर कब्रिस्तान के रूप में भी जाना जाता है। निराशाजनक यादों और भयावहता का एक रूप चांगलांग के मैदान में दफन है जहां द्वितीय विश्व युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की कब्र हैं. यहां दफन शहीद भारत, चीन, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे कई देशों के हैं. यह स्थान न केवल अतीत में लिए गए मानव के गलत एवं घातक निर्णयों का साक्षी है बल्कि  आपको उस समय असहायता और नुकसान का भी सामना करवाता है.

नामदफा नेशनल पार्क और टाइगर रिज़र्व 

tiger reserve

इसे वर्ष 1983 में सरकार द्वारा एक प्रसिद्ध टाइगर रिजर्व घोषित किया गया. भारत के चांगलांग में स्थित नामदफा नेशनल पार्क एक आश्चर्यजनक पार्क है जो बड़े पैमाने पर 1985.25 वर्ग किलोमीटर भूमि के क्षेत्र में फैला हुआ है. पराक्रमी हिमालयी पर्वतमाला के करीब स्थित यह पार्क 200 मीटर से 4500 मीटर के बीच विभिन्न ऊंचाइयों पर फैला हुआ है.वनस्पतियों और जीव-जंतुओं के अद्भुत आकर्षण के साथ इस पार्क में बाघ, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, हाथी और हिमालयी काले भालू जैसे वन्यजीवों के कुछ बेहतरीन किस्में मौजूद हैं.पर्यटकों को इस पार्क में रहने वाले जानवर बहुत आकर्षित करते हैं.

लेक ऑफ नो रिटर्न
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लेक ऑफ नो रिटर्न का न केवल नाम अनूठा है बल्कि इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी भी है. इतिहास के अनुसार झील द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान दुश्मनों द्वारा मारे गए हवाई जहाजों की आसान लैंडिंग में सहायता करती थी। इसी काम के लिए झील का उपयोग करने के दौरान कई एयरक्राफ्ट लैंडिंग करते समय इसी जगह पर मारे गए और इसलिए इस झील का ये नाम पड़ा.

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