वीडियो वायरल : सैनिटरी पैड लग्ज़री नहीं जरूरत, सस्ता करें जेटली

पीरियड शब्द सुनते हीनई दिल्‍ली : समाज में आप अगर थोड़ी तेज आवाज में मेंसुरेशन या पीरियड शब्द सुनते ही हमारा रिएक्शन बदल जाता है। किसी ने अगर थोड़ी तेज आवाज में बोल दिया है तो सामने से तुरंत जवाब आता है इतनी तेज बोल रही हो कोई सुन लेगा तो क्या सोचेगा। मेरा आपसे एक सवाल है कि मेंसुरेशन शब्द को इतना हौव्वा क्यों बना रखा है। ये एक नेचुरल प्रोसेस है जो कि लड़कियों में होता है। जिस पर खुल के बात करनी चाहिए न कि शर्म के साथ।

जब तक हम पीरियड के बारे में खुलकर बात नहीं करेंगे, ये उन औरतों तक कैसे पहुंचेगा जिनके पास अपनी बात कहने के लिए कोई माध्यम नहीं है। इनमें कई औरतें तो ऐसी हैं जिन्हें पता ही नहीं है कि सेनेटरी पैड नाम की कोई चीज होती भी है।

बहुत सी ऐसी महिलाएं और लड़कियां है जो सेनेटरी पैड को जानने के बावजूत इसका इस्तमाल नहीं कर पाती। क्योंकि सेनेटरी पैड पर जो टैक्स लगाया जाता है। वो इतना ज्यादा होता है कि उन्हें हर महीने अफोड़ कर पाना उनके बस का नहीं होता है।

क्या कर सकते है मेंसुरेशन को तो रोक नहीं सकते और सेनेटरी पैड महंगे दाम हर वर्ग महिलाएं इसे  नहीं कर पाती है जिसके चलते उन्हें कपड़ा,कॉटन, पत्तियां और न जाने क्या क्या, पैड के अभाव में यूज करना पड़ता है। इससे उन्हें इन्फेक्शन होता है, मौत तक हो जाती है। इस इन्फेक्शनन का शिकार ना जाने प्रतिदिन कितनी महिलाएं होती हैं।

शी सेज़’ (she says) नाम के एक ग्रुप ने #LahuKaLagaan नाम का एक कैंपेन लॉन्च किया है जो सेनेटरी नैपकिन पर लगे टैक्स को हटवाने के लिए है। कैंपेन सोशल मीडिया पर आग पकड़ रहा है और लड़कियां लगातार अरुण जेटली को टैग कर अपील कर रही हैं कि ये टैक्स खत्म कर दिया जाए। इसके लिए उनकी दलीलें हैं, जो एकदम सटीक हैं।

सेनेटरी पैड से टैक्स हटाने ही ये दलील इस लिए भी सही है क्योंकि जब बात कॉन्डम या गर्भ निरोधन की थी, सरकार ने तगड़ा कैंपेन चलाकर लोगों को जागरूक किया।और इस समय जब स्वच्छ भारत अभियान जोरों पर है लेकिन जब हम शौच में हाइजीन की बात होती है तब औरतों के हाइजीन की बात क्यों नहीं होती है।

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