फिर से विश्व रिकार्ड बनाने पर आमादा मृत्युंजय

पियानोवादकनई दिल्ली|  मृत्युंजय शर्मा एक पियानो मैराथन में 127 घंटे आठ मिनट और 38 सेकंड तक लगातार पियानो बजाकर अपने नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड का खिताब दर्ज करा चुके हैं। अब उनका अगला लक्ष्य दुनिया का सबसे तेज पियानोवादक बनना है।

पियानोवादक मृत्युंजय का अगला रिकार्ड

दिल्ली विश्वविद्यालय में श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स (एसआरसीसी) के छात्र शर्मा ने तीन साल की उम्र में अपने पिता से पियानो का सबसे पहला पाठ सीखा था।

पियानोवादक ने  कहा, “इस समय एक मिनट में 765 पियानो कीज बजाकर हंगरी के बेंस पीटर के नाम सबसे तेज पियानोवादक का खिताब है। मैं बहुत ऊंचा लक्ष्य नहीं रखना चाहता, लेकिन इतना ऊंचा जरूर रखना चाहता हूं ताकि अगला रिकॉर्ड आसानी से न टूटने पाए।”

उन्होंने कहा कि वह नहीं जानते कि यह लक्ष्य हासिल करना संभव है या नहीं।

रिकॉर्ड होल्डर पियानोवादक ने कहा, “लेकिन मुझे इसे संभव बनाना है और मेरे गुरु का कहना है कि मैं यह कर सकता हूं।”

उन्होंने कहा, “मुख्य रूप से संगीतकार ए. आर. रहमान और मेरे गुरु सुधांशु बहुगुणा मेरी प्रेरणा हैं, लेकिन मैं हर उस व्यक्ति से प्रेरणा लेता हूं जो कड़ी मेहनत करता है।”

मृत्युंजय पाकिस्तानी मूल के भारतीय गायक अदनान सामी से प्रभावित हैं। उन्होंने कहा, “सामी से मुझे सबसे तेज पियानोवादक बनने की चुनौती स्वीकार करने की प्रेरणा मिलती है।”

उन्होंने कहा कि जिंदगी में सबसे मुश्किल काम संयम रखना है। पियानो मैराथन रिकॉर्ड के लिए लंबे अभ्यास सत्रों से वह परेशान हो जाते थे।

उन्होंने 17 अक्टूबर, 2015 को पोलैंड के पियानोवादक रोमॉल्ड कोपेस्र्की का 103 घंटे का रिकॉर्ड तोड़ा था।

उन्होंने इस बारे में कहा, “लक्ष्य हासिल करने के बाद मुझे बेहद अच्छा लगा। रिकॉर्ड हासिल करने के बाद काफी चीजें बदल गई हैं। पहले कोई मुझमें ज्यादा रुचि नहीं लेता था, लेकिन अब लोग मेरी भविष्य की योजनाओं के बारे में पूछते हैं।”

उनके पियानोवादन को रिकॉर्ड करके गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड को मूल्यांकन के लिए भेजा गया था। संगीत को ही अपनी दुनिया बताते हुए शर्मा ने कहा, “संगीत का मेरे लिए क्या महत्व है, मैं इसे शब्दों में बयां नहीं कर सकता। मैं संगीत के बिना जी नहीं सकता, यह मेरी सांस है।”

मृत्युंजय ने कहा कि हर प्रस्तुति से पहले उनके मन में थोड़ी घबराहट होती है।

उन्होंने कहा, “लेकिन, शुरू करने के बाद बाकी सब कुछ नगण्य हो जाता है, डर चला जाता है और उसके बाद कोई घबराहट नहीं रहती।”

पियानोवादक ने कहा कि भारतीय शास्त्रीय संगीत से उन्होंने अपनी संगीत यात्रा शुरू की थी।

उन्होंने कहा, “हमारे शास्त्रीय संगीत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह उन प्रमुख कारणों में से एक है, जिनके कारण भारतीय संस्कृति दुनियाभर में पहचानी जाती है।”

LIVE TV