अब नहीं बनेगा इंडिया जीनियस, बंद होगा पारले-जी का कारखाना

मुंबई। शायद ही ऐसा कोई घर होगा जहां पारले-जी का बिस्किट न आता हो। यह बिस्किट बेहद ही सस्ते और स्वादिष्ट होते हैं। बच्चा हो या उम्रदराज़ लोग, इसे हर कोई बड़े मज़े और चाव से खाता है। कहीं-कहीं तो दिन की शुरुआत ही पारले जी से होती है लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। क्योंकि पारले-जी कंपनी ने अब विले पार्ले में अपने 90 साल पुराने बिस्किट कारखाने को बंद करने का फैसला किया है।

यह कारखाना मुंबई के विले पार्ले की सबसे पुरानी पहचान है। यहां बिस्किट की महक से पता चल जाता था कि विले पार्ले स्टेशन आने वाला है।

पारले-जी

प्रोडक्शन कम होने के कारण इस कंपनी ने कारखाने को बंद करने का फैसला इसलिए किया है। इस कंपनी की मैनेजमेंट कमेटी ने यह निर्णय लिया है।

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इस कारखाने में 300 कर्मचारी काम करते हैं, जिन्होंने कंपनी के फैसले के बाद वीआरएस ले लिया है। इस कारखाने का कारोबार 10,000 करोड़ रुपए बताया जा रहा है।

पारले-जी की कुछ रोचक बातें

पारले-जी इंडिया का सबसे ज्यादा बिकने वाला ग्लूकोस बिस्किट है।

“पारले जी” नाम को मुंबई के रेलवे स्टेशन विले पार्ले से लिया गया है जो स्वयं पार्ले नामक पुराने गांव पर बेस्ड है।
जब भारत 1929 में ब्रिटिश शासन के अधीन था तब पारले जी पार्ले प्रोडक्ट्स नामक एक छोटी कंपनी का निर्माण हुआ था। इसे मिठाइयों तथा टॉफियों (जैसे कि मेलोडी, कच्चा मैंगो बाईट आदि) के प्रोड्क्शन के लिए छोटे कारखाने के रूप में स्थापित किया गया।

कुछ सालों बाद बिस्कि‍ट का उत्पादन भी शुरू कर दिया गया। इसके बाद यह भारत की सबसे बड़ी खाद्य उत्पाद कंपनियों में से एक हो गयी है।

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इंडिया के अलावा पारले-जी यूरोप, ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, आदि में भी उपलब्ध है।

पारले-जी ऐसा बिस्किट है जो कि गांवों से लेकर शहरों तक एक ही रेट में बिकता है।

वि‍कीपीडिया के अनुसार नीलसन सर्वे की मानें तो पारले जी विश्व में सर्वाधिक बिक्री वाला बिस्कि‍ट है। भारत के ग्लूकोज बिस्कि‍ट श्रेणी के 70% बाजार पर इसका कब्जा है, इसके बाद नंबर आता है ब्रिटानिया के टाइगर (17-18%) और आईटीसी के सनफीस्ट (8-9%) का।

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