एटीएम के 50 बरस : एक हिंदुस्तानी के आइडिया ने दिलाई पहचान

नई दिल्ली। अब हम कैश की किल्लत होने पर भी बैंक नहीं जाना चाहते हैं क्योंकि हमारे पास एटीएम कार्ड है। लेकिन पहले ऐसा नहीं होता था। हमारे पास कैश की जरूरत होने पर बैंक जाने के अलावा और कोई रास्ता ही नहीं था। आज आपको बताते हैं दुनिया की पहली एटीएम मशीन के बारे में, क्योंकि ये 50 साल का हो गया है। साथ ही वो पहलू जिनसे शायद अभी तक आप अंजान हैं।

पहली एटीएम मशीन

एक भारतीय का आयडिया आया काम 

दुनिया का पहला एटीएम 27 जून को ही 50 साल पहले लंदन में लगा था। लेकिन दुनिया की पहली एटीएम मशीन नॉर्थ लंदन के एनफील्ड में लगाई गई थी। इसका आयडिया एक भारतीय युवक का था। एटीएम बनाने का आइडिया जॉन शेफर्ड बैरन का था। बैरन का जन्म 1925 में भारत के शिलांग में हुआ था। बैरन को एटीएम का आयडिया 1965 में आया था।

दरअसल अकाउंट से कैश निकालने के लिए बैरन को बैंक जाना था। समय से बैंक नहीं पहुंच पाने के कारण बैंक बंद हो गया और उन्हें बिना कैश के ही खाली हाथ वापस लौटना पड़ा। उन्हें बैंक पहुंचने में देरी भी इसलिए हुई थी क्योंकि वह नहाने चले गए थे।

बैंक से निराश लौटे बैरन को एटीएम मशीन का आयडिया आया। अखबार दे टेलीग्राफ में छपी एक खबर में उन्होंने बताया था ‘मुझे चॉकलेट बार डिस्पेंसर देखकर एटीएम का आयडिया आया। बस मुझे चॉकलेट को कैश में तब्दील करने जरूरत थी। जब कोई मशीन हमें चॉकलेट दे सकती थी। तो उसे कैश देने में क्या परेशानी हो सकती थी’।

इत्तेफाक से उसी साल शैफर्ड बैरन बार्कलेज बैंक के चीफ जनरल मैनेजर से टकरा गए। जिसके बाद दोनों ने साथ लंच करने का प्रोग्राम बनाया। फिर क्या था शैफर्ड ने झट से अपना आयडिया उनके साथ शेयर किया। यहीं शुरू हुई ऐतिहासिक शुरुआत।

पहली एटीएम मशीन

एटीएम का अविष्कार

बैरन के आयडिया की पहली मशीन 1966 में जापान में बनाई गई थी। जो कि कंप्यूटर लोन मशीन कहलाई। यह मशीन लोगों को कार्ड के इस्तेमाल से लोन देती थी। लेकिन अब बारी थी लोगों को उनके बैंक अकाउंट के पैसे एटीएम के द्वारा देने की। बार्कलेज बैंक ने सबसे पहली बार ऐसी एटीएम मशीन बनाई जो लोगों को एक पिन या स्पेशल चैक से कैश देती थी।

इसके बाद साल दर साल एटीएम में बदलाव का दौर चला। इसके बाद पहली मॉडर्न एटीएम मशीन लॉयड बैंक द्वारा 1972 में इंग्लैंड में लाई गई। जो कि एक ऑनलाइन नेटवर्क से यूजर्स के अकाउंट में मौजूद कैश की जांच कर लेती थी।

पहली एटीएम मशीन

27 जून 1967 को दुनिया की पहली एटीएम मशीन लंदन के एनफील्ड में लगाई गई थी। एटीएम से सबसे पहली बार पैसे ब्रिटिश अभिनेता रेग वर्णय ने निकाले थे। रेग 70 के दशक के सबसे पॉपुलर शो ‘ऑन द बसीज’ में मुख्य किरदार निभा रहे थे। और लंदन समेत पूरे यूरोप में उनके अभिनय की चर्चा थी। आज 50 साल बाद हम रेग की चर्चा दुनिया के पहले एटीएम यूजर के तौर पर भी करते हैं।

रेग वर्णय ने एक स्पेशल चेक का इस्तेमाल किया। जिसका मिलान पिन नंबर के तौर पर इस्तेमाल किया गया। आज दुनिया प्लास्टिक कार्ड का इस्तेमाल कर रही है।

पत्नी ने दिया था पिन कम करने का आयडिया

अभी भले ही पूरी दुनिया में एटीएम का पिन चार डिजिट का है। लेकिन एटीएम का पिन पहले छह डिजिट का होता था। दरअसल बैरन एटीएम का पिन छह डिजिट का रखने के पक्ष में थे। लेकिन उनकी पत्नी ने कहा कि छह डिजिट बहुत ज्यादा हैं जिससे लोगों को इसे याद करने में परेशानी होगी। इसके बाद उन्होंने इसे कम करके चार डिजिट का कर दिया।

मौजूदा स्थिति

कुछ देशों में एटीएम का इस्तेमाल करना फ्री है। जबकि कुछ देशों तो एटीएम इस्तेमाल करने का चार्ज वसूलते हैं।

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