पहली अप्रैल से हड़ताल पर रहेंगे जेट एयरवेज के हजारों पायलट, वेतन न मिलाना बना कारण

आर्थिक संकट से जूझ रही जेट एयरवेज कंपनी अभी भी खतरे से दूर नहीं है।  जेट के एक हजार से अधिक पायलटों ने एक अप्रैल से विमान नहीं उड़ाने पर अडिग रहने का फैसला लिया है।
इन पायलटों को कई महीनों से वेतन नहीं मिला है। पायलटों ने ये निर्णय ऐसे वक्त में लिया है जब शुक्रवार को एयरलाइन बैंकों से धन प्राप्त करने में नाकाम रही है।
जेट एयरवेज के हजारों पायलट
जेट एयरवेज के पायलटों की यूनियन नेशनल एविएटर्स गिल्ड (एनएजी) ने कहा था कि अगर वेतन नहीं मिला तो एक अप्रैल से पायलट विमान नहीं उड़ाएंगे।
19 मार्च को इस ट्रेड यूनियन के 1100 सदस्यों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत भी लिखा था। उन्होंने खत में प्रधानमंत्री से कहा था कि हस्तक्षेप करें और प्रबंधन से कहें कि पायलटों का बकाया दें।
इस खत में इन सदस्यों ने कहा था, “अनिश्चितता और वित्तीय कठिनाइयों से अत्यधिक तनाव हो रहा है।”

पायलटों के बिना वेतन के विमान ना उड़ाने के एलान के कुछ दिन बाद ऋण से उबारने की योजना के तहत एयरलाइन प्रबंधन एसबीआई नीत बैंक संघ के हाथों में चला गया था।

इससे पहले नरेश गोयल ने जेट एयरवेज के बोर्ड और चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया। लेकिन उनके इस्तीफे के बाद भी कंपनी पर से संकट नहीं गया।
चेयरमैन पद छोड़ने के साथ ही जेट एयरवेज में नरेश गोयल की हिस्सेदारी घटकर आधी रह गई है। पहले कंपनी में उनकी हिस्सेदारी 51 फीसदी थी, जो अब 25.5 फीसदी पर आ गई है।
उन्हें कर्ज को परिवर्तित कराने के लिए 11.4 करोड़ इक्विटी शेयर कर्जदाताओं को देने पड़े।
इसके बदले बैंकों ने कंपनी को तत्काल प्रभाव से 1,500 करोड़ रुपये की सहायता उपलब्ध कराई।
कंपनी की साझेदार एतिहाद एयरवेज के पास अब भी 24 फीसदी हिस्सेदारी है।
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