पहला दोहरा शतक लगाने वाले तेंदुलकर की 5 यादगार पारियां

Sachin-Birthday-Pixएजेंसी/ सचिन तेंदुलकर ने 24 तारीख (फरवरी, 2010) को एक उस परंपरा की शुरुआत कर दी जिसका इंतजार पिछले 3 दशक से किया जा रहा था। उन्होंने इस दिन वनडे का पहला दोहरा शतक लगाया। इसके 3 साल बाद 2013 में सचिन ने वनडे को अलविदा कह दिया। उनके पहले दोहरा शतक के बाद अब तक कुल 6 दोहरे शतक लग चुके हैं। 24 (अप्रैल) को ही उनका बर्थडे भी पड़ता है।

अपने 23 साल के वनडे करियर में मास्टर ब्लास्टर ने कई मील के पत्‍थर स्‍थापित किए। सचिन ने अपने करियर में कुल 463 वनडे मैच खेलकर 18,426 रन (21,367 गेंद) बनाने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया, जिनमें 49 शतकों के साथ 96 अर्द्धशतक भी शामिल है।

तेंदुलकर ने अपनी अंतिम वनडे पारी भी पाकिस्तान के खिलाफ 18 मार्च 2012 को एशिया कप में खेली थी। इस पारी में सचिन ने 52 रन बनाए और भारत को 6 विकेट से जीत मिली थी। सचिन के 49 वनडे शतकों में भारत को 33 मैचों में जीत मिली। जिन मैचों में सचिन ने शतक लगाया और भारत को जीत मिली उसमें उनका औसत और स्ट्राइक रेट दोनों ही बेहतर रहा था। इन मैचों में उनका औसत 56.63 जबकि स्ट्राइक रेट 90.31 रहा जो उनके करियर के औसत और स्ट्राइक रेट से भी ज्यादा था।

ग्वालियर में नाबाद 200 रनों की पारी, शुरू की नए युग की शुरुआत

मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर पहले ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने वनडे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में दोहरा शतक जमाया। 24 फरवरी 2010 को ग्वालियर में सचिन ने वनडे में दोहरा शतक का कारनामा किया। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेले गए इस मैच में सचिन पारी की आखिरी गेंद पर दोहरा शतक पूरा किया था। वनडे क्रिकेट इंतिहास में यह पहला दोहरा शतक था।

नाबाद 200 रनों की इस पारी में सचिन ने केवल 147 गेंदों का सामना किया था। खास बात यह है कि जिस उम्र में दुनिया के ज्यादातर क्रिकेटर संन्यास ले लेते हैं तब सचिन ने 37 वर्ष की उम्र में वनडे क्रिकेट का पहला दोहरा शतक जमाया था।

पांच चौकों और तीन छक्कों से सजी नाबाद और रिकॉर्डतोड़ 200 रनों की पारी को खुद सचिन करियर की यादगार पारी बताया है। सचिन ने जब 200 के आंकड़े को पार किया तो उस समय कंमेंट्री कर रहे पूर्व भारतीय क्रिकेटर रवि शास्त्री और न्यूजीलैंड के डैनी मोरीसन ने कहा कि अगर कोई बल्लेबाज इस मील के पत्थर को हासिल करने का हकदार था तो वह सचिन ही थे। इस महान पारी के बारे में विश्वप्रसिद्ध पत्रिका ‘टाइम’ ने लिखा कि खेलों की दुनिया में कुछ ऐसी उपलब्धियां होती हैं। जिन तक पहुंचना आसान नहीं होता है।

शारजाह में तेंदुलकर ने कंगारुओं की ली जमकर क्लास
सचिन तेंदुलकर जब अपने चरम पर थे तो उनके बल्ले से 1998 में शारजाह के मैदान पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला गया शतक काफी लोकप्रिय हुआ था। कोका कोला कप के अंतिम लीग मैच में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सचिन ने महज 131 गेंदों में शानदार 143 रन बनाए थे। इस पारी में उन्होंने मैदान के हर कोने में रन बनाए। इस दौरान नौ चौके और पांच गगनचुंबी छक्के जड़े थे।

हालांकि सचिन की इस जोरदार पारी के बावजूद भारत ये मैच ऑस्ट्रेलिया से हार गया, लेकिन 284 रनों के जवाब में 250 रन बनाकर उसने फाइनल के लिए क्वालिफाई कर लिया।

इसी सीरीज में सचिन ने एक बार फिर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना रौद्र रूप दिखाया। 24 अप्रैल 1998 को अपने 25वें जन्म‌दिन पर सचिन ने शारजाह के मैदान पर ही ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक और सेंचुरी लगा डाली। इस मैच में सचिन ने 134 रन की बेमिसाल पारी खेली थी और भारत को जीत हासिल हुई थी।

12 चौकों और तीन छक्कों से सजी इस पारी में सचिन ने कंगारू गेंदबाजों की धज्जियां उड़ा डाली और मैदान के चारों कोनों से जमकर रन बटोरे। उन्हें मैन ऑफ द मैच के साथ प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट से नवाजा गया।

2003 वर्ल्ड कप में पाकिस्तानियों पर बरसे मास्टर
सचिन तेंदुलकर खुद मानते हैं कि सेंचुरियन में 2003 वर्ल्ड कप में चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ 75 गेंद में 98 रनों की पारी उनके करियर की सर्वश्रेष्ठ यादगार पारी है। दक्षिण अफ्रीका के सेंचुरियन के सुपर स्पोर्ट्स पार्क में भारत और पाकिस्तान तीन साल बाद भिड़ने को तैयार थे।

लगभग 20 हजार लोग स्टेडियम में आए थे और एक अरब से ज्यादा लोगों ने इस टीवी पर देखा। बेहद उत्तेजनापूर्ण माहौल में वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में पाकिस्तान ने 273 रन बनाए। सेंचुरियन की तेज पिच पर इस स्कोर को भारत की पहुंच से दूर माना जा रहा था, लेकिन सचिन तेंदुलकर की 98 रन की विस्फोटक पारी ने मैच को एक तरफ कर दिया।

उन्होंने दुनिया के सबसे तेज गेंदबाज और ‘रावलपिंडी एक्सप्रेस’ शोएब अख्तर की जमकर पिटाई की। साथ ही अनुभवी वसीम अकरम, वकार यूनुस और अब्दुल रज्जाक की भी अच्छी खबर ली। एक छक्का और 12 चौकों से स‌जी इस बेहतरीन पारी के लिए सचिन को मैन ऑफ द मैच चुना गया। सचिन की इस पारी के दम पर भारतीय टीम 20 साल बाद वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंची थी।

हैदराबाद में तेंदुलकर ने कीवियों को दिखा दिए दिन में तारे
8 नवंबर, 1999 को हैदराबाद के क्रिकेट स्टेडियम में सचिन तेंदुलकर के बल्ले से निकली शतकीय पारी वनडे इतिहास की यागदार पारियों में शूमार है। न्यूजीलैंड के खिलाफ मास्टर ब्लास्टर के बल्ले से निकली नाबाद 186 रनों की पारी के बदौलत टीम इंडिया ने एक एकदिवसीय क्रिकेट में पहली बार 376 रनों के विशाल स्कोर को बनाया था। वहीं न्यूजीलैंड की पूरी टीम 202 रन बनाकर ऑलआउट हो गई थी, जिससे भारत ने 174 रनों के विशाल अंतर से जीत दर्ज की थी।

150 गेंदों की इस पारी में सचिन ने 20 चौके और तीन छक्के जड़े थे। इस पारी के लिए सचिन को मैन ऑफ द मैच चुना गया था। इस मैच में राहुल द्रविड़ ने भी 153 गेंदों में 12 चौके और दो छक्के की मदद से 153 रनों की पारी खेली थी।

जब पिता की मौत के 5 दिन बाद ही उतरे मैदान पर और लगा दिया शतक
1999 में वर्ल्ड कप के दौरान सचिन तेंदुलकर के पिता का देहांत हो गया था। इस भावुक क्षण में सचिन ने अपने पिता के श्राद्घ के बजाय अपनी टीम को तवज्जो देकर एक प्रतिमान ‌स्‍थापित किया था।

पिता की मौत हुए केवल पांच दिन ही गुजरे थे कि सचिन विश्वकप में केन्या के खिलाफ भारतीय टीम के लिए इंग्लैंड स्थित ब्रिस्टल के मैदान पर उतर गए। इस मैच में सचिन ने महज 101 गेंदों में नाबाद 140 रनों की पारी खेली थी। इस पारी में उन्होंने 16 चौके और तीन छक्के जड़े थे। इस मैच में भारत ने केन्या के सामने 329 रनों का विशाल स्कोर ‌खड़ा किया था। जिसके जवाब में केन्या निर्धारित ओवरों में 235 रन ही बना सकी थी और भारत 94 रनों से यह मैच जीत गया था।

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