कर्जमाफी पर मचे बवाल के बीच दीदी के लिए आफत बने चायवाले, दे दिया कभी न भूलने वाला दर्द

पश्चिम बंगालकोलकाता| पश्चिम बंगाल के उत्तरी पहाड़ी क्षेत्रों में चाय उद्योग के व्यापार संघों के संयुक्त मंच ने न्यूनतम वेतन में सुधार और अन्य मांगों को लेकर सोमवार से दो दिन की व्यापारिक हड़ताल शुरू की। पहाड़ी क्षेत्र में हो रही इस हड़ताल से चाय के उत्पादन को नुकसान होने की आशंका है।

पश्चिम बंगाल में चायवालों की हड़ताल

भारतीय व्यापार संघ केंद्र (सीआईटीयू) के राज्य महासचिव आनंदी साहू ने कहा, “अभी तक हड़ताल के लिए समर्थन जबर्दस्त रहा है। पहाड़ी क्षेक्ष के कम से 90 प्रतिशत चाय मजदूर हड़ताल से जुड़े हैं। उदाहरण के लिए, सुकना चाय बाग में 1800 में से केवल 18 मजदूर ही काम के लिए गए हैं।”

हालांकि, राज्य में सत्ताधारी दल तृणमूल कांग्रेस समर्थित अखिल भारतीय तृणमूल व्यापार संघ कांग्रेस ने इस हड़ताल का विरोध कर रही है।

साहू ने दावा किया कि स्थानीय प्रशासन तृणमूल कांग्रेस समर्थित व्यापार संघ के साथ मजदूरों की हड़ताल को रोकने का प्रयास किया है, लेकिन वे इसमें कामयाब नहीं हो सके।

दार्जिलिंग चाय संघ के एस.एस. बगरिया ने कहा, “इस दो दिन की हड़ताल से दार्जिलिंग चाय उद्योग को 10 करोड़ से ज्यादा का नुकसान होने की आशा है। हड़ताल के कारण नुकसान न केवल चाय बाग मालिकों को नुकसान पहुंचाएगा, बल्कि मजूदर भी इससे प्रभावित होंगे।”

24 व्यापार संघों के इस संयुक्त मंच ने पश्चिम बंगाल के चाय के बागों वाले इलाकों में जैसे की जलपाईगुड़ी, दार्जिलिंग, कालींपोंग, अलीपुरद्वार, इस्लामपुर और मेखलिगंज में मंगलवार को 12 घंटों की साधारण हड़ताल का भी आह्वान किया है।

भारतीय चाय संघ के महासचिव अरिजीत राहा ने कहा, “हड़ताल का चाय उद्योग जिसमें इसका उत्पाद भी शामिल है, पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ने की आशा है। हमने अभी तक किसी भी प्रकार के नुकसान का आंकलन नहीं किया है।”

हड़ताल का आह्वान करने वाले व्यापार संघ न्यूनतम वेतन में सुधार, चाय मजदूरों के हकों की मजबूती और चाय मजदूरों को रहने के लिए उनके बीच जमीन के वितरण किए जाने की मांग कर रहे हैं।

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