पर्सनल टेंशन भी है बॉस का सिरदर्द

relationship_landscape_1459248405एजेन्सी/अक्सर लोग एक दूसरे को मशविरा देते हैं कि निजी जिंदगी और दफ्तर के काम को अलग रखें। निजी जिंदगी की दुश्वारियों का असर, हमारे काम पर नहीं पड़ना चाहिए। और काम की फिक्र, घरेलू जिंदगी पर हावी नहीं होनी चाहिए। मगर, कई बार हम ऐसे हालात से दो-चार होते हैं, जब हमारे सहयोगी निजी जिंदगी की दिक्कतों से परेशान होते हैं और उनकी इस परेशानी का काम पर असर साफ दिखने लगता है। खास तौर से जो टीम लीडर होते हैं, बॉस होते हैं, उनके लिए ये फिक्र की बात है कि उनकी टीम के लोग निजी जिंदगी की किसी दिक्कत के चलते अच्छे से काम नहीं कर पा रहे। इसका असर पूरी टीम के परफॉर्मेंस पर पड़ता है।

तो, अगर ऐसा हो कि आपकी टीम की कोई सदस्य, ऐसी परेशानी से जूझ रहा या रही हो, तो किसी बॉस को क्या करना चाहिए? पहले तो ये जान लें कि इस मामले के तीन पहलू हैं। एक तो यह कि आपका सहयोगी बहुत बुरे दौर से गुज़र रहा है। दूसरा यह कि इसका असर उसके काम पर पड़ रहा है। और, तीसरा सबसे अहम पहलू यह कि वो इस मुश्किल वक्त में दफ्तर में किसी से मदद भी नहीं मांग पा रहा। तीसरा पहलू किसी भी बॉस के लिए बेहद चिंता का विषय है। यह किसी भी संस्थान के माहौल की बहुत खराब तस्वीर दिखाता है। यानी आपके दफ़्तर का माहौल ऐसा है कि लोग जिंदगी की दिक्कतों के बारे में एक-दूसरे से बात करने से कतराते हैं।

LIVE TV