समुद्र में चीन-पाक को पछाड़ेगी भारत में परमाणु ऊर्जा से चलने वाली ये पनडुब्बियां…

चीन और पाकिस्तान द्वारा हिंद महासागर क्षेत्र में लगातार बढ़ते खतरे को देखते हुए भारतीय नौसेना ने अपनी रक्षा तैयारियों को तेज कर दिया है। नौसेना की ताकत में इजाफा करने के लिए छह परमाणु शक्ति चलित पनडुब्बियों को बनाने का काम शुरू हो गया है। इस परियोजना की लागत लगभग एक लाख करोड़ रुपये है।

समुद्र में चीन-पाक को पछाड़ेगी भारत में परमाणु ऊर्जा से चलने वाली ये पनडुब्बियां...

अगली पीढ़ी के परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों का निर्माण करने के लिए मिश्र धातु निगम एक विशेष प्रकार की धातु के परीक्षण की भी योजना बना रहा है। जिससे इन पनडुब्बियों को मजबूती मिलेगी। इससे भारतीय नौसेना के पानी के नीचे रहने की शक्ति में भारी इजाफा होगा। सरकार ने इसके पहले चरण के लिए 100 करोड़ की धनराशि को जारी भी कर दिया है।

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साल 2015 में मोदी सरकार ने भारतीय नौसेना के लिए बहुत समय से लंबित परियोजना को आगे बढ़ाते हुए छह परमाणु शक्ति चलित अटैक पनडुब्बियों (एसएसएन) के निर्माण को मंजूरी दी थी। इन पनडुब्बियों को नौसेना के डिजाइन निदेशालय द्वारा डिजाइन किया जाएगा और स्वदेशी रूप से विशाखापत्तनम में शिपबिल्डिंग सेंटर में बनाया जाएगा।

भारतीय नौसेना इस समय कुल 15 पनडुब्बियों का संचालन कर रही है जिसमें आईएनएस अरिहंत और आईएनएस चक्र परमाणु शक्ति संचालित हैं। आईएनएस चक्र को रूस से 10 साल की लीज पर लिया गया है जबकि अरिहंत का निर्माण भारत में ही किया गया है। ये दोनों पनडुब्बियां परमाणु मिसाइल के द्वारा हमले को अंजाम दे सकती हैं।

इस परियोजना में भारत को अरिहंत के निर्माण से जुड़े हुए अनुभव काम आएंगे। एसएसएन क्लास की ये पनडुब्बियां ज्यादा गहराई तक गोता लगाने में सक्षम होंगी। जबकि इनके सोनार, और रडार पहले की तुलना में ज्यादा एडवांस होंगे। उर्जा को पैदा करने के लिए इन पनडुब्बियों में नवीन तकनीकी वाले परमाणु रिएक्टर लगाए जाएंगे।

प्रोजक्ट-75: कतार में खड़ी एक और पनडुब्बी निर्माण परियोजना

समुद्र में चीन-पाक को पछाड़ेगी भारत में परमाणु ऊर्जा से चलने वाली ये पनडुब्बियां...

भारतीय नौसेना को मजबूती देने के लिए गुरुवार (20 जून) को रक्षा मंत्रालय ने प्रोजेक्ट-75 के तहत 6 अत्याधुनिक पनडुब्बियों को बनाने के लिए भारतीय रणनीतिक साझेदारों को प्रस्ताव के लिये आग्रह (एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट) जारी किया था। ये पनडुब्बियां रडार की पकड़ में नहीं आने वाली प्रौद्योगिकी से लैस होंगी। मेक इन इंडिया प्रोग्राम के तहत जारी इस कांट्रैक्ट की लागत लगभग 45 हजार करोड़ रुपये है। जिसमें छह पनडुब्बियों का निर्माण भारत में ही टेक्नोलॉजी के ट्रांसफर के तहत किया जाएगा।

हालांकि, नौसेना के लिए प्रोजेक्ट 75 को शुरू हुए तीन साल से भी ज्यादा का समय हो चुका है। साल 2017 में छह अत्याधुनिक पनडुब्बी निर्माण करने की महत्वकांक्षी परियोजना के लिए चार विदेशी कंपनियां मुख्य रूप से सामने आई थीं।

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उस समय फ्रांस की कंपनी नावन ग्रुप, रूस की रोसोबोरोनएक्सपोटर्स रुबिन डिजाइन ब्यूरो, जर्मनी की थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स और स्वीडन की साब ग्रुप ने इस परियोजना में भाग लेने के लिए रुचि दिखाई थी।

इस बार भी इन्हीं कंपनियों को सबसे बड़ा दावेदार माना जा रहा है जिसमें से किसी एक को यह टेंडर दिया जा सकता है। हालांकि इनकों पनडुब्बी का निर्माण भारत में ही करना होगा। इस परियोजना का उद्देश्य विदेशी कंपनियों के साथ मिलकर देश में पनडुब्बी और लड़ाकू विमान बनाने जैसे सैन्य प्लेटफार्म को तैयार करना है।

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