पनामा पेपर मामले में फैसला खंडित नहीं : चौधरी निसार

पनामा पेपरइस्लामाबाद| पाकिस्तान के आंतरिक मंत्री चौधरी निसार ने पनामा पेपर मामले में सर्वोच्च न्यायालय के ‘फैसले के खंडित’ होने की धारणा को खारिज करते हुए शुक्रवार को कहा कि न्यायाधीशों की राय अलग हो सकती है, लेकिन ‘पांचों न्यायाधीशों ने संयुक्त जांच दल (जेआईटी) के गठन के फैसले पर हस्ताक्षर किए हैं।’

निसार ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के नेतृत्व ने नवाज शरीफ के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले की प्रारंभ में जेआईटी से जांच की मांग की थी, जिसमें इंटर सर्विसिस एजेंसी (आईएसआई) तथा मिल्रिटी इंटेलिजेंस (एमआई) के सदस्यों को शामिल करने की मांग थी।

पनामागेट मामले में सर्वोच्च न्यायालय के अब तक के सबसे प्रतीक्षित फैसले में गुरुवार को नवाज शरीफ को थोड़ी राहत मिली, जिसमें न्यायालय ने कहा कि उन्हें अयोग्य ठहराने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं और न्यायालय ने शरीफ तथा उनके परिवार के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए एक संयुक्त जांच दल के गठन का आदेश दिया।

सर्वोच्च न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की पीठ का फैसला खंडित (3-2) था। पीठ में न्यायमूर्ति आसिफ खोसा, न्यायमूर्ति गुलजार अहमद, न्यायमूर्ति एजाज अफजल खान, न्यायमूर्ति अजमत सईद तथा न्यायमूर्ति इजाजुल अहसान शामिल थे।

गुरुवार को बाद में प्रधानमंत्री की बेटी मरियम नवाज को पर्याप्त सबूतों की कमी के कारण मामले से बरी कर दिया गया।

जेआईटी का गठन एक सप्ताह के अंदर किया जाएगा, जिसे अपनी रपट 60 दिनों के भीतर सौंपनी होगी।

आंतरिक मंत्री ने राजनीतिक पार्टियों द्वारा विरोध-प्रदर्शन की घोषणा पर ऐतराज जताते हुए इसे सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की सत्यनिष्ठा पर आघात करार दिया।

निसार ने नवाज शरीफ के खिलाफ लगे आरोपों की प्रकृति पर भी टिप्पणी की।

उन्होंने कहा, “पूरी दुनिया में किसी मुकदमे को साबित करने की जिम्मेदारी अभियोजन पक्ष की होती है। लेकिन पाकिस्तान में इसका उलटा है।”

मामले का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा, “यह भ्रष्टाचार का मामला नहीं है।”

डॉन ऑनलाइन के मुताबिक, निसार ने कहा, “कई लोगों के विदेशों में मकान हैं..प्रधानमंत्री ने अपनी संपत्ति पहले दिन से नहीं छिपाई।”

उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रधानमंत्री के खिलाफ लगे आरोपों की जांच के फैसले को सबको स्वीकार करना चाहिए।

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