पनामा पेपर्स में 2,000 नये भारतीयों के नाम लीक

पनामा पेपर्सनई दिल्ली| हाल में लीक हुए पनामा पेपर्स से संबंधित दो लाख से ज्यादा गुप्त विदेशी कंपनियों के बारे में पहली बार एक ऑनलाइन सूची जारी हुई है। खोजी पत्रकारों के एक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन इंटरनैशनल कंसोर्सियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) ने इस सूची को ऑनलाइन जारी किया है| इस डेटाबेस में भारत से लगभग 22 विदेशी कंपनियों, 1046 अधिकारियों या आम लोगों के लिंक तथा 42 बिचौलियों के साथ 828 अन्य पते मिले हैं|

पनामा पेपर्स मामले में अहम खुलासे

इनमें दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे शहरों से लेकर हरियाणा के सिरसा, बिहार के मुजफ्फरपुर और मध्यप्रदेश के मंदसौर और भोपाल तथा पूर्वोत्तर राज्यों तक के पते शामिल हैं। इस डेटाबेस में नेवाडा से हॉन्ग कॉन्ग और ब्रिटेन के वर्जिन आइलैंड्स तक में स्थापित लगभग 2.14 लाख विदेशी कंपनियों का नाम भी सामने आया है।

संस्था ने इन नामों को अपनी वेबसाइट पर ग्रैफिक के रूप में डाला है| इस सूची में भारतीय नाम और पतों वाली कंपनियों में से कुछ की ओपनिंग डेट का भी जिक्र किया गया है| करीब 30 हजार भारतीय लिंक वाले दस्तावेज वाली इस सूची पर आईसीआईजे ने कहा है कि यह अतिरिक्त जानकारी ‘जनहित’ में जारी की गई है।

आईसीआईजे ने यह भी कहा, ‘यह कदम भी पनामा पेपर्स और विदेशी लीक की जांच और उससे जुड़ी लगभग 3.2 लाख विदेशी कंपनियों और ट्रस्टों के पीछे के लोगों का पता लगाने की कोशिश का हिस्सा है’।

आईसीआईजे ने अपने हालिया संदेश में कहा, ‘यह जानकारी पनामा पेपर्स जांच का हिस्सा है। यह विदेशी कंपनियों और उनके पीछे के लोगों के बारे में अब तक जारी हुई सबसे बड़ी जानकारी है। उपलब्ध होने पर इसमें इन अपारदर्शी इकाइयों के असल मालिकों के नाम भी शामिल हैं।

हालाँकि आईसीआईजे ने कहा है कि किसी ख़ास देश के बारे में जानकारी का कोई ‘दूसरा पहलू’ भी हो सकता है। और इन विदेशी कंपनियों और ट्रस्टों के काम वैध भी हो सकते हैं।

संस्था ने अपने वेब पोर्टल पर कहा, ‘हम यह नहीं कहना चाहते कि आईसीआईजे के विदेशी लीक डेटाबेस में जिन लोगों, कंपनियों या अन्य इकाइयों के नाम हैं, उन्होंने कानून तोड़ा है या अनुचित तरीके से व्यवहार किया है।’

हम आप को बता दें कि पनामा पेपर्स के पहले सेट में सामने आए 500 से अधिक नामों पर जाँच करने के लिए भारत ने एक समूह गठित की है| जिसमें आयकर विभाग, एफआईयू, आरबीआई और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के तहत आने वाले विदेशी कर एवं कर अनुसंधान शामिल हैं। जबकि कालेधन पर बना विशेष जांच दल भी इन मामलों की समीक्षा कर रहा है।

 

LIVE TV