शर्मनाक : अपने ही गांव में शहीद को नहीं मिली दो गज जमीन

पंपोरफिरोजाबाद। पंपोर में आतंकियों से लोहा लेते हुए देश के आठ बहादुर बेटों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। उनके इस सबसे बड़े बलिदान पर पूरे देश को गर्व है लेकिन इन्‍हीं में से एक जवान के साथ कुछ ऐसा हुआ जिसे सुनकर कोई भी देशवासी को गुस्‍से से भर उठेगा। शहीद को उसके गांव वालों ने ही दो गज जमीन भी नसीब नहीं होने दी।

पंपोर में शहीद जवान

दरअसल जिस जवान के काम पर उसके गांव वालों को नाज करना चाहिए उसको उन्‍होंने दो गज जमीन भी नसीब नहीं होने दी क्‍योंकि वह जवान निम्‍न जाति से है। पूरे देश को शर्मसार कर देने वाली ये खबर फिरोजाबाद जिले के सिकोहाबाद के नगला केवल इलाके की है। यहां पंपोर में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद सीआरपीएफ के कॉन्सटेबल वीर सिंह का गांव है।

वीर सिंह इसी गांव में पले, पढ़े, सेना में भर्ती हुए और फिर देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए। वीर सिंह के परिवार में जब उनकी शहादत की खबर पहुंची तो लोगों ने वीर सिंह का अंतिम संस्कार सार्वजनिक जगह पर करने और वहां उनका स्मारक बनाने के लिए थोड़ी सी जमीन मांगी, मगर गांव के उच्च जाति के लोगों ने जमीन देने से सिर्फ इसलिए इनकार कर दिया क्योंकि वीर सिंह नाट समुदाय से हैं।

मामला जिला अधिकारियों तक पहुंचा तो वो मौके की नजाकत को समझते हुए गांववालों को मनाने पहुंचे और फिर काफी कहने के बाद गांव वालों ने वीर सिंह के अंतिम क्रियाकर्म और स्मारक के लिए दस बाई दस की जमीन दे दी।

कंथारी गांव के ग्राम प्रधान विजय सिंह के मुताबिक गांव के कुछ लोग उनके पास पहुंचे थे और उन्होंने शहीद के परिवार द्वारा वीर सिंह के अंतिम क्रियाकर्म और स्मारक के लिए सार्वजनिक जमीन मांगने का विरोध किया लेकिन बाद में एसडीएम के दखल के बाद गांववाले जमीन देने के लिए राजी हो गए।

वीर सिंह अपने परिवार में अकेले कमाने वाले थे। वो 1981 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। उनका परिवार एक छोटे से मकान में रहता है जिसके उपर टिन की छत डली हुई है। वीर सिंह के तीन बच्चे हैं और वो सभी पढ़ाई कर रहे हैं।

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