न बढ़ने दें सांप्रदायिक तनावों को

एजेन्सी/pranab-mukherjee-540_2_56e61407eefc5नई दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बहुलतावाद और सहिष्णुता को भारतीय सभ्यता का प्रतीक बताया। विविधता को मजबूती प्रदान करने के लिए उन्होंने तथ्य बताते हुए चेतावनी दी। राष्ट्रपति ने कहा कि सांप्रदायिक तनाव को लेकर लोगों को सतर्क रहना होगा। सांप्रदायिक तनाव कहीं भी सिर उठा सकते हैं। दरअसल लोकतंत्र संख्या बल नहीं है यह तो सहमति बनाने से जुड़ा हुआ है। नेहरू स्मारक संग्रहालय में अर्जुन सिंह मेमोरियल व्याख्यान देते हुए राष्ट्रपति द्वारा कहा गया कि बहुलतावादी लोकतंत्र में नागरिकों के ही साथ युवकों के मन में सहिष्णुता के मूल्य, विपरीत विचारों का सम्मान और धैर्य स्थापित करने को महत्वपूर्ण बताया गया है। भारत की सुदृढ़ता इसकी सहिष्णुता में है। यह एक तरह से सामूहिक सद्विवेक का भाग है। यह एकमात्र रास्ता है। 

दरअसल यह देश के लिए सही तरह से कार्य करेगा। निहित स्वार्थों हेतु सांप्रदायिक सौहार्द की परीक्षा भी ली जाती है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि इन विषयों पर बहस के लिए वे सहमत नहीं हैं। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि अराजकता हेतु किसी भी तरह का स्थान छोड़ना नहीं चाहिए। दरअसल यदि लोगों का विचार जानकर अच्छी नीतियां अपनाई जाऐ तो यह प्रभावी लोकतांत्रिक मशीनरी का आधार हो सकता है। 

दरअसल देश का लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता खतरे में है। दिवंगत नेता अर्जुन सिंह के ही साथ उन्होंने सहयोग को याद किया और कहा कि उन्हें एक कठिन निर्णय लेना होता है। महामहिम राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि हमारे देश की विविधता एक महत्वपूर्ण तथ्य है। इसे कुछ हठी लोगों की सनक के कारण कल्पना में नहीं बदला जा सकता है। भारत की दृढ़ता सहिष्णुता में बताई गई है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि सार्वजनिक विमर्श में अलग – अलग स्वरूप हैं।

उसे लेकर सभी बहस कर सकते हैं। ऐसे में हम सहमत नहीं हो सकते। मगर विचारों की विविधता को रोका नहीं जा सकता है। राष्ट्रपति का कहना था कि ऐसे सभी प्रयासों को असफल करना है जो कि अराजकता को जन्म देते हैं। यही नहीं इसके लिए कोई स्थान भी शेष नहीं रखना है। 

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