सामने आया ड्रैगन का प्लान B, जमीन नहीं पानी के रास्ते बरसाएगा मौत, पाकिस्तान भी देगा साथ!

नौ सेना की शक्तिनई दिल्ली भारत के पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान दोनों ही सीमा विवाद को बढ़ावा देने में लगे हैं। चीन की मीडिया भी शब्दों के तीर से भारत को लगातार उकसाने का काम कर रहा है। भारत के पड़ोसी मुल्क न केवल जमीन बल्कि समुद्र से घेरने की साजिश रच रहे हैं। खासकर हिंद महासागर में चीन और पाकिस्तान अपने चक्रव्यूह में भारत को फंसाने में लगे हुए हैं। जिससे भारत के दबाव बना हुआ है कि वह अपनी नौ सेना की शक्ति को मजबूत करे।

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इस बीच नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की ताजा रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि भारतीय नौ सेना को मजबूत करने की जरुरत है। इस दिशा में जितनी तेज़ी से काम करने की जरुरत है, उस स्तर पर नौ सेना ने कार्य नहीं किया।

CAG की रिपोर्ट के मुताबिक, युद्धक पोत जरूरी अस्त्र एवं सेंसर प्रणाली से लैस नहीं हैं। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने चार पनडुब्बी रोधी वाहक युद्धक पोत के निर्माण में असाधारण देरी के लिए नौसेना की कड़ी आलोचना करी है।

संसद में पेश की गयी कैग की रिपोर्ट में कहा गया कि नौसेना को सुपुर्द किये गये चार युद्धक पोतों में जरूरी अस्त्र एवं सेंसर प्रणाली नहीं लगायी गयी जिसके कारण वे अपनी पूरी क्षमता से प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं जिसकी परिकल्पना की गयी थी।

कैग ने नौसेना के नौसेना डिजाइन निदेशालय की भी वाहक पोत की डिजाइन को अंतिम रूप देने में विलंब के लिए आलोचना करते हुए कहा कि स्वीकृत डिजाइन में 24 बदलाव किए गये। सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उपक्रम गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एवं इंजीनीयर्स लिमिटेड को परियोजना के लिए आशय पत्र 2003 में जारी किया गया था किन्तु पोत की डिजाइन में में व्यापक बदलाव 2008 तक चलता।

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नौसेना को पहला वाहक पोत जुलाई 2014 और दूसरा नवंबर 2015 में सौंपा गया। परियोजना के अनुबंध के अनुसार तीसरे वाहक पोत जुलाई 2014 में चौथा अप्रैल 2015 में सौंपा जाना था। लेकिन इसमें भी लापरवाही देगी गई।

कैग ने अपनी रिपोर्ट में इस बात पर भी जोर दिया कि 2007-08 में हुई 38 दुर्घटनाओं में नौसेना के पोत एवं पनडुब्बियां शामिल रहे। इससे देश की युद्ध की तैयारियों पर उल्टा प्रभाव पड़ा।

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