ये शख्‍स तब तक जागा, जब तक मर नहीं गया

नींदएक आम इनसान अपनी जिंदगी के 25 से 30 साल नींद में रहता है। लेकिन एक शख्‍स ऐसा भी है, जिसने जिंदगी के 40 साल तक अपनी पलक भी नहीं झपकाई।

इस शख्स को चार दशक तक नींद नहीं आई। दुनिया भर के डॉक्टरों ने उसे नींद में लाने के लिए न जाने कितनी कोशिशें की, लेकिन सब फेल।

हंगरी के इस शख्स का नाम पॉल केर्न है। पॉल तब तक जागे, जब तक वो मर नहीं गए। पॉल ने 1915 में प्रथम विश्व युद्ध लड़ा था। इस जंग के दौरान उनके माथे पर एक गोली लग गई थी।

आश्‍चर्यजनक रूप से हादसे में उनकी जान बच गई। लेकिन दिमाग के अगले हिस्से पर गंभीर चोट आई। नींद में ले जाने वाली ग्रंथियां पूरी तरह से नष्‍ट हो गईं। दिमाग में घुसी गोली भी शुरुआत में नहीं निकल पाई।

इसका असर यह हुआ कि पॉल केर्न की नींद हमेशा के लिए चली गई। उन्होंने दुनिया भर के डॉक्टरों से इलाज कराया। तमाम कोशिशों के बाद उनके दिमाग में धंसी गोली निकाल दी गई। लेकिन इससे उनकी नींद पर कोई असर नहीं पड़ा।

पॉल केर्न की आंखें 1955 में तब बंद हुईं, जब उनकी मौत हो गई। इससे पहले के चार दशक तक उनकी पलकें झपकना भी भूल चुकी थीं। अपनी मौत के बाद आज भी पॉल की नींद की गुत्थी नहीं सुलझी है।

डॉक्टर बस इतना जानते हैं कि उनके दिमाग में घुसी गोली ने काफी नुकसान पहुंचाया था। लेकिन इस नुकसान से उनकी नींद का ताल्लुक आज तक नहीं पता चला है। डॉक्टर भी नहीं पता कर सकें हैं कि इस मर्ज की दवा क्या है।

डॉक्टरों के मुताबिक इतने लंबे समय तक नींद न लेने के बावजूद पॉल केर्न पर कोई शारीरिक असर नहीं पड़ा। कभी-कभी उनका सिर दर्द जरूर होता था। लेकिन इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ता था।

हादसे के बाद भी पॉल ने अपनी सरकारी नौकरी जारी रखी। इस दौरान भी उनकी पलकें नहीं झपकती थीं। पॉल ने एक बार कहा था कि उन्हें यह सब अजीब लगता है। उन्होंने खुद भी कई बार सोने की कोशिश की, लेकिन कुछ नहीं हुआ।

आखिरकार डॉक्टरों की सलाह पर पॉल ने दो घंटे आंखें बंद रखने की कोशिश शुरू की। हालांकि इस दौरान भी वह जागे ही रहते थे।  उनका दिमाग और शरीर के सारे अंग एक जागे हुए इंसान की तरह काम करते थे।

नींदये 42 साल से जाग रहे हैं

वियतनाम के नगोक भी 42 साल से लगातार जाग रहेे हैं। नगोक का जन्म वियतनाम के नॉन सोंग जिले में 1942 में हुआ। 1973 में उन्हें बुखार हो गया था, जिसके बाद से उन्हें कभी नींद नहीं आई।

जब नगोक ने अस्पताल में खुद को दिखाया तो डॉक्टर्स ने इस बीमारी को इनसोम्निया करार दिया, जिसकी वजह से नींद नहीं आती है। नगोक चाय के जरिए समय गुजारने की कोशिश करते हैं। हालांकि पॉल से उलट नगोक की पलकें झपकती थीं।

नींद से जुड़ी कुछ खास बातें

वैज्ञानिकों के अनुसार जब हम सोते हैं तो हमारा शरीर स्वत: ही नींद में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों के लिए खुद को तैयार कर लेता है। नींद के दौरान हमारे शरीर में केमिकल्स और हार्मोंस का उत्पादन भी अपेक्षाकृत ज्यादा होता है।

जिन लोगों को किसी तरह का तनाव, दिमागी समस्या या फिर अवसाद की शिकायत होती हैं, जो लोग किसी से अपने दिल की बात कह नहीं पाते, वे लोग नींद में काफी तेज आवाज में बोलते हैं।

हमारा शरीर एक ऐसी अवस्था में पहुंच जाता है जहां हम शारीरिक तौर पर तो नींद में होते हैं लेकिन मानसिक तौर पर अचेत होते हैं। हमारी आंखें बंद होने के बाद भी हिलती हैं, इसे मेडिकल भाषा में “रैपिड आई मूवमेंट” कहा जाता है।

नींद से जुड़ी यह सबसे गंभीर समस्या है जब व्यक्ति सांस ले पाने में असमर्थ होता है। यह एक बीमारी की तरह है जब व्यक्ति नींद में सांस लेना भूल जाता है। इससे दिमाग और शरीर तक प्रॉपर ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती, जिससे व्यक्ति की मौत तक हो सकती है।

नींद के समय व्यक्ति के शरीर में मौजूद वो हार्मोंस ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं, जो उसके शरीर के विकास के लिए उत्तरदायी है। आप ये कह सकते हैं कि सोते समय व्यक्ति का शरीर अपेक्षाकृत ज्यादा तेजी से बढ़ता है।

नींद के दौरान व्यक्ति एक ऐसी अवस्था में भी पहुंच जाता है, जहां उसे अजीब सा डर सताने लगता है। चारों ओर सन्नाटा होने के बाद भी नींद में जोर-जोर की आवाजें सुनता है जो उसे भयभीत कर देती हैं। जिन लोगों के साथ ऐसा होता हैं वे अपनी नींद में फ्लैश लाइट जैसी तेज रोशनी भी अनुभव करते हैं।

जब हम रैपिड आइ मूवमेंट जैसी स्थिति में पहुंच जाते हैं तो हमारी मांसपेशियां पूरी तरह निष्क्रिय हो जाती हैं। आप कह सकते हैं कि ये वो स्थिति होती है जब हम लकवाग्रस्त जैसा महसूस कर सकते हैं। आंखों के अलावा हमारे शरीर का कोई भी अंग नहीं हिल पाता। ना सिर्फ निद्रा में बल्कि वास्तविकता में भी यह महसूस होने लगता है जैसे कि हमारा शरीर पैरालाइज्ड हो गया है।

जब हम निद्रा में होते हैं तो हमारे शरीर का तापमान नियंत्रित नहीं रह पाता। इसके अलावा दिल की धड़कन, हमारी सांस लेने की गति भी अनियमित हो जाती है।

आपको याद होगा कभी-कभार ऐसा होता है जैसे ही आप गहरी निद्रा की स्थिति में पहुंच जाते हैं तो आपको यह आभास होता है कि आप गिरने लगे हैं या आपका पैर फिसलने लगा है। यह स्थिति मेडिकल लैंग्वेज में “हाइपनिक जर्क” कहलाती है। यह सिर्फ आभास नहीं होता बल्कि आपको एक झटका भी लगता है।

 

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